विक्षिप्ता कुमार दुर्गेश "विक्षिप्त" अदाऐं तुम कुछ गजब ढा़ रही हों..। मुझ में फिर से ख्वाब जगा रही हों.. अदाऐं तुम ..... पा सकू मंजिल में राहें दिखा रही हों.. अदाऐं तुम.... जी सकू इक नई शुरूआत ...
विक्षिप्ता कुमार दुर्गेश "विक्षिप्त" अदाऐं तुम कुछ गजब ढा़ रही हों..। मुझ में फिर से ख्वाब जगा रही हों.. अदाऐं तुम ..... पा सकू मंजिल में राहें दिखा रही हों.. अदाऐं तुम.... जी सकू इक नई शुरूआत ...