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विमला का विवाह बहुत छोटी उम्र में ही हो गया था। आठवीं कक्षा तक ही पढ़ पाई थी वह। एक अभागे दिन अपनी सहेली कमला के साथ उसके घर गई थी। कमला का भाई, राजन जो कि फौज में था, उससे टकरा गया और पहली ही नजर ...

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लेखक के बारे में
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शील निगम

शील निगम. आगरा (उ. प्रदेश )में जन्म ६ दिसम्बर , १९५२ . शिक्षा-बी.ए.बी.एड. कवयित्री, कहानी तथा स्क्रिप्ट लेखिका. मुंबई में १५ वर्ष प्रधानाचार्या तथा दस वर्षों तक हिंदी अध्यापन. विद्यार्थी जीवन में अनेक नाटकों,लोकनृत्योंतथा साहित्यिक प्रतियोगिताओं में सफलतापूर्वक प्रतिभाग एवं पुरुस्कृत. दूरदर्शन पर काव्य-गोष्ठियों में प्रतिभाग एवं संचालन तथा साक्षात्कारों का प्रसारण. आकाशवाणी के मुंबई केंद्र से रेडियो तथा ज़ी टी.वी. पर कहानियों का प्रसारण. प्रसारित कहानियाँ -'परंपरा का अंत' 'तोहफा प्यार का', 'चुटकी भर सिन्दूर,' 'अंतिम विदाई', 'अनछुआ प्यार' 'सहेली', 'बीस साल बाद' 'अपराध-बोध' आदि . देश-विदेश की हिंदी के पत्र -पत्रिकाओं,पुस्तकों तथा ई पत्रिकाओं में कविताएं तथा कहानियाँ प्रकाशित.विशेष रूप से इंगलैंड की 'पुरवाई' कनाडा के 'द हिंदी टाइम्स' व 'प्रयास ' तथा ऑस्ट्रेलिया के 'हिंदी गौरव' व 'हिंदी पुष्प' में बहुत सी कविताओं का प्रकाशन .'हिंद युग्म' द्वारा कई कविताएँ पुरुस्कृत. बच्चों के लिए नृत्य- नाटिकाओं का लेखन, निर्देशन तथा मंचन. कहानियों के नाटयीकरण ,साक्षात्कार,कॉन्सर्ट्स तथा स्टेज शो के लिए स्क्रिप्ट लेखन. हिंदी से अंग्रेज़ी तथा अंग्रेज़ी से हिंदी अनुवाद कार्य-हिंदी से अंग्रेज़ी एक फिल्म का अनुवाद, 'टेम्स की सरगम ' हिंदी उपन्यास का अंग्रेजी अनुवाद, एक मराठी फिल्म 'स्पंदन' का हिंदी अनुवाद. जनवरी २०१४ में बाबा साहब अम्बेडकर नेशनल अवार्ड से देहली में सम्मानित. A special Issue of 'TSI, Hindi 111 Top Hindi Women Writers of 21st Century', published in August,2011, has included me in this issue as one of the top writers in 'The Sunday Indian' published in NOIDA Awards won: बाबा साहब अम्बेडकर नेशनल अवार्ड (दिल्ली) हिन्दी गौरव सम्मान (लंदन) प्रतिभा सम्मान (बीकानेर) सिद्धार्थ तथागत कला साहित्य सम्मान (सिद्धार्थ नगर) विदेश-भ्रमण -युनाइटेड किंगडम,ऑस्ट्रेलिया ,सिंगापुर तथा मालदीव्स. पता-बी,४०१/४०२,मधुबन अपार्टमेन्ट, फिशरीस युनीवरसिटी रोड, सात बंगला के पास,वर्सोवा,अंधेरी (पश्चिम),मुंबई-६१. Tel No-Mumbai Resi-022-26364228 Mobile Nos-(Mumbai) 09987490692 , 09987464198 E mail ID [email protected]

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    06 नोव्हेंबर 2018
    एक ऐसी कहानी,जिसमे सच्चाई झलकती है, पर अगर इस कहानी को थोडा और आगे ले जाकर बेटी के द्वारा पिता को और ताऊ को सजा दिलवाई जाती तो समाज को इस कहानी के माध्यम से एक आदर्श मिलता ।इसके बावजूद, कहानी की लेखिका को अच्छे शब्द चयन की मुबारकबाद।
  • author
    साधना मिश्रा,..
    26 जुन 2018
    हहनी का अंत और भी अच्छा हो सकता था यदि विमला को अंत मे मजबूत दिखया गया होता।मर जाने से समस्या का अंत नही होता।आत्मनिर्भर बनने का,बच्चों से इतने दिन दूर रहने का त्याग का क्या मूल्य रह गया
  • author
    Shivam Tiwari
    22 एप्रिल 2017
    आखिर कब तक एक स्त्री अपने ही घर में असुरक्षित रहेगी ? कहानी का अंत एक कड़वे सच का उजीगर करता है , कि नारी भक्षी भेड़िये माँस के इतने भूखे है कि अपनी हैवानियत के लिये किसी भी हद तक गूज़र सकते है, जिसके लिये समूचा का खात्मा कर सकता है | कहानी मे स्त्री की अात्महत्या नहीं बल्कि एक नारी की असुरक्षा व विवशता का चित्रण किया है | मैं माननीय लेखक महोदय को रिश्तो को कझोर देने वाली इस कहानी को रचने के लिये धन्यवाद देता हूँ व उम्मीद करता हूँ कि भविष्य मे भी अपने शब्दबाण से अन्य कलंक को मिटाओगे -शिवम् तिवाड़ी बीकानेर (राजस्थान)
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    06 नोव्हेंबर 2018
    एक ऐसी कहानी,जिसमे सच्चाई झलकती है, पर अगर इस कहानी को थोडा और आगे ले जाकर बेटी के द्वारा पिता को और ताऊ को सजा दिलवाई जाती तो समाज को इस कहानी के माध्यम से एक आदर्श मिलता ।इसके बावजूद, कहानी की लेखिका को अच्छे शब्द चयन की मुबारकबाद।
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    साधना मिश्रा,..
    26 जुन 2018
    हहनी का अंत और भी अच्छा हो सकता था यदि विमला को अंत मे मजबूत दिखया गया होता।मर जाने से समस्या का अंत नही होता।आत्मनिर्भर बनने का,बच्चों से इतने दिन दूर रहने का त्याग का क्या मूल्य रह गया
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    Shivam Tiwari
    22 एप्रिल 2017
    आखिर कब तक एक स्त्री अपने ही घर में असुरक्षित रहेगी ? कहानी का अंत एक कड़वे सच का उजीगर करता है , कि नारी भक्षी भेड़िये माँस के इतने भूखे है कि अपनी हैवानियत के लिये किसी भी हद तक गूज़र सकते है, जिसके लिये समूचा का खात्मा कर सकता है | कहानी मे स्त्री की अात्महत्या नहीं बल्कि एक नारी की असुरक्षा व विवशता का चित्रण किया है | मैं माननीय लेखक महोदय को रिश्तो को कझोर देने वाली इस कहानी को रचने के लिये धन्यवाद देता हूँ व उम्मीद करता हूँ कि भविष्य मे भी अपने शब्दबाण से अन्य कलंक को मिटाओगे -शिवम् तिवाड़ी बीकानेर (राजस्थान)