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पेड़ों पर टांग दिये गये आइनेंबर्बरता की ओट/वोट मेंतय नफा नुकसान के पैमानेनापती सरकारें।चीर प्रचीर सन्नाटातय है मरनाजिंदगियों के साथ।सभ्य सभ्यता के साथहाथ पे हाथ रख मौनवक्त।पेड़ों पर बर्बतालोकतंत्र ...

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लेखक के बारे में

शिक्षा— पत्रकारिता एवं जनसंचार में इलाहाबाद विवि से परास्नातक, फोटोजर्नलिज्म एंड विजुअल कम्यूनिकेशन में डिप्लोमा, शिक्षा में स्नातक, केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा उतीर्ण, कंप्यूटर में सर्टिफिकेट कोर्स। अनुभव— विभिन्न अखबार व मैग्जीन में संपादकीय सहयोग, एनजीओ में मीडिया एडवोकेसी, पत्रकारिता एवं अन्य विषयों में अध्यापन, न्यू इंडिया प्रहर मैग्जीन में समाचार संपादन कार्य। विभिन्न सम्मानित पत्र—पत्रिकाओं में कविता व लेख, स्वंतत्र लेखन, वेब व पोर्टल पर विभिन्न समसामयिक  मुद्दों पर सक्रिय लेखन। मैं कविता क्यों लिखता हूं कि  क्योंकि कविता ब्रह्म है,  और मैं बार बार हर एक कविता में ब्रहमांड रचता हूं । उस रचनाकार के प्रति समर्पण है जिसने  ब्रह्मांड की रचना की और इसलिए भी लिखता हूं कि कविता न सुख देती न दुख, लेकिन यह मेरे होने और मेरे हाथ,  दिल, दिमाग और आत्मा के अस्तित्व को एक तारे के तरह बताती कोई कविता आपसे मिलती रहेगी ।

समीक्षा
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  • author
    Ashish Kant Pandey
    14 फ़रवरी 2019
    वास्तव में वर्तमान स्थिति को प्रदर्शित करती यह कविता सरकारी व्यवस्था की पोल खोल रही है अशिक्षा स्वास्थ समस्या बेरोजगारी किसानों की समस्या भ्रष्टाचार आदि की बातें केवल रूटीन हो गई है इसके लिए मेनिफेस्टो में केवल लिख दिया जाता है और सरकारी जब बनती है तो केवल अपने तरीके से से चलती है और जनता इस रूटीन को देख कर परेशान हो जाती है और फिर इसी तरह की कविताएं हमारे सामान सामने आती जो समाज और सरकार का सच सामने लाती
  • author
    Madhulata Pandey Madhu
    14 फ़रवरी 2019
    यह कविता वास्तव में आज के सच को उजागिर करती है।
  • author
    संतोष नायक
    23 जुलाई 2019
    रचना पसंद आई।बहुत बहुत बधाई।
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    Ashish Kant Pandey
    14 फ़रवरी 2019
    वास्तव में वर्तमान स्थिति को प्रदर्शित करती यह कविता सरकारी व्यवस्था की पोल खोल रही है अशिक्षा स्वास्थ समस्या बेरोजगारी किसानों की समस्या भ्रष्टाचार आदि की बातें केवल रूटीन हो गई है इसके लिए मेनिफेस्टो में केवल लिख दिया जाता है और सरकारी जब बनती है तो केवल अपने तरीके से से चलती है और जनता इस रूटीन को देख कर परेशान हो जाती है और फिर इसी तरह की कविताएं हमारे सामान सामने आती जो समाज और सरकार का सच सामने लाती
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    Madhulata Pandey Madhu
    14 फ़रवरी 2019
    यह कविता वास्तव में आज के सच को उजागिर करती है।
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    संतोष नायक
    23 जुलाई 2019
    रचना पसंद आई।बहुत बहुत बधाई।