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रुकी सी कहानी

3.6
388

इस उड़ान में नन्हीं पूरा जोर लगाती। गिर ना जाये इस भय से वह पंख चलाती॥ भारी श्रम से थक जाया करती थी नन्हीं। बहुत देर तक भूखी रह जाती है नन्हीं॥ ऊपर-नीचे आते-जाते भय लगता है। चील और कौवे खा जायेंगे, भय ...

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    18 জুলাই 2018
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