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रिश्वत

4.4
6496

क्यों रिश्वत का दानव हमारा पीछ नहीं छोड़ता ?

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लेखक के बारे में
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Deepak Dixit

निवास : सिकंदराबाद (तेलंगाना) सम्प्रति : स्वतंत्र लेखन संपर्क : [email protected] , 9589030075 प्रकाशित पुस्तकें योग मत करो, योगी बनो (भाल्व पब्लिशिंग, भोपाल),2016 दृष्टिकोण (कथा संग्रह) Pothi.com पर स्वयं-प्रकाशित,2019 * दोनों पुस्तकें Pothi.com पर ईबुक (ebook) के रूप में भी उपलब्ध हैं, लिंक के लिए मेरा ब्लॉग देखें शिक्षा से अभियंता (धन्यवाद-आई.आई.टी.रुड़की), प्रशिक्षण से सैनिक (धन्यवाद- भारतीय सेना), स्वभाव से आध्यात्मिक और पढ़ाकू हूँ। पिछले कुछ वर्षों से लेखन कार्य में व्यस्त हूँ। पढ़ने के शौक ने धीरे-धीरे लिखने की आदत लगा दी। अब तक चार पुस्तक (दो अंग्रेजी में मिलाकर) व एक दर्जन साँझा-संकलन प्रकाशित हुए हैं। हिंदी और अंग्रेजी में ब्लॉग लिखता हूँ। ‘मेरे घर आना जिंदगी’ (http://meregharanajindagi.blogspot.in/) ब्लॉग के माध्यम से लेख, कहानी, कविता और शोध-पत्रों का प्रकाशन। प्रसिद्ध पत्र-पत्रिकाओं तथा वेबसाइट में 100 से अधिक रचनाओं का प्रकाशन हुआ है। साहित्य के अनेक संस्थान में सक्रिय सहभागिता है। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर की कई गोष्ठियों में भाग लिया है तथा कविता/आलेख/शोध-पत्र वाचन किया है। दस से अधिक साहित्यिक मंचों द्वारा पुरस्कृत / सम्मानित किया जा चुका है।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    राघव
    29 జులై 2019
    अगर व्यक्ति के पास दो विकल्प हो, पहला 3 दिन किसी कार्यालय के चक्कर लगाकर अपना काम करवाना और दूसरा यह कि हजार पांच सौ रुपये किसी को देकर बिना चक्कर लगाए अपना काम करवाना, तो 90 प्रतिशत लोग दूसरे विकल्प को चुनेंगे। यही से शुरू होती है रिश्वतखोरी। हम काम करवाने में थोड़ा सब्र रख सके तो रिश्वत देने की कोई जरूरत नही। लेकिन सब्र कहां है आजकल लोगो मे। आपने अच्छा विषय चुना👍
  • author
    01 మే 2020
    Well written . Climax was good . The point is made about bribery ? Why? Because it does facilitates our work ! But then is it a crime - looks like but for some it is a necessity in this fast world like what the author has portrayed . Congrats
  • author
    AnshuPriya Agrawal
    05 మార్చి 2020
    बहुत सुंदर कल्पना 👌👌👌👌💐💐💐💐🙏हृदयस्पर्शी कहानी👌👌👌🙏🌾🍀🎉🎊😘 बहुत सुंदर शब्द चयन 👍👍 बधाई हो 💐💐
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    राघव
    29 జులై 2019
    अगर व्यक्ति के पास दो विकल्प हो, पहला 3 दिन किसी कार्यालय के चक्कर लगाकर अपना काम करवाना और दूसरा यह कि हजार पांच सौ रुपये किसी को देकर बिना चक्कर लगाए अपना काम करवाना, तो 90 प्रतिशत लोग दूसरे विकल्प को चुनेंगे। यही से शुरू होती है रिश्वतखोरी। हम काम करवाने में थोड़ा सब्र रख सके तो रिश्वत देने की कोई जरूरत नही। लेकिन सब्र कहां है आजकल लोगो मे। आपने अच्छा विषय चुना👍
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    01 మే 2020
    Well written . Climax was good . The point is made about bribery ? Why? Because it does facilitates our work ! But then is it a crime - looks like but for some it is a necessity in this fast world like what the author has portrayed . Congrats
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    AnshuPriya Agrawal
    05 మార్చి 2020
    बहुत सुंदर कल्पना 👌👌👌👌💐💐💐💐🙏हृदयस्पर्शी कहानी👌👌👌🙏🌾🍀🎉🎊😘 बहुत सुंदर शब्द चयन 👍👍 बधाई हो 💐💐