अपने बारे मे क्या लिखूँ , स्वयं के बारे में तटस्थ होकर लिखना कभी आसान नहीं होता तो प्रश्न वही आता है कि आखिर क्या लिखूँ।
ना तो कोई दरिया हूँ जो किसी सुदूर पहाड के आंचल से निकलकर न जाने कितने लोगो को अपना बनाता है।
ना कोई ऐसा पुष्प जो अपनी सुगंध से सबको आकर्षित कर सके।
ना वो बादलों की श्यामलता ही हूँ जो दहकती गर्मी मे शीतलता दे दे
न ही किसी पुरवाई की उन्मत्त बहती सरगोशियों की उम्मीद हूँ ।
ना कोई ऐसा लेखक ही हूं , जो कर देता है मंत्रमुग्ध अपनी लेखनी से, कि भूल जायें,सूध बुध अपनी , रचना को पूरी पढ़ने के लिये
सच कहुँ तो प्रतिलिपि से ही कुछ लिखने का मन में संकल्प जागा, पहली बार रचना को समर्पित इतने लोगों का सन्सार यहां देखा , अच्छा लगा। अब तो बस कोशिश करता रह्ता हूं, अपनी अधपकी , बेस्वाद खिचड़ी यहां पोस्ट करते रहने की, और उसे भी बड़े प्रेम से आप लोगो के द्वारा गृहण करते देख अभिभूत हूं।
बस शायद कुछ लोगो की याद हूँ, अपने लोगो की , जो भूलना नही चाहेंगे मुझे अपने प्रेम की खातिर।
खैर जो भी हूँ,आपको प्रणाम करता हूँ और आपके स्नेह का आकांक्षी हूँ ।
कामर्स से पोस्ट ग्रेजुएट, नैनीताल का निवासी, आपके स्नेहिल सान्निध्य का आकांक्षी, शिक्षण कर्म से विद्यार्थियों के कदमो को सही रास्ता दिखाने का आकांक्षी, समय मिलने पर मानसिक कसरत के द्वारा कुछ स्वरचित प्रस्तूत करने को बेचैन
कमलकांत अग्रवाल "राज"
सम्पर्क - 9319681525
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आपका स्वागत है,कृपया उत्साह वर्धन करते रहियेगा।
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