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राजकपूर की 'मेरा नाम जोकर' फ़िल्म के पहले भाग से कुछ मिलती है.. यह मेरी कहानी..! इंटर पास होंने के बाद.. ग्रेजुएशन के लिए जब मैं डिग्री कॉलेज में आया.. तब.. विषयों के चयन में मुझे अधिक दिक्कत नही ...

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लेखक के बारे में
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Sandeep Dwivedi

मैं संदीप द्विवेदी उ.प्र.कानपुर से हूं। विज्ञापन-व्यवसाय से जुड़ा हूं। लिखना..मुझे अच्छा लगता है..और अच्छा लिखा हुआ..पढ़ना भी..! मुझे लगता है..हम तब तक वह सब करने को स्वतंत्र हैं..जब तक हमारी वजह से कोई तीसरा..किसी दिक्कत में न आये..। किसी को मजबूर करके कुछ हासिल करना..पौरुषहीनता है..। प्रेम बड़ी शक्ति है..जिससे..सब मिल सकता है..! उम्मीद भी..और संबल भी..! रिश्ते. देर से बनें..ठीक है.. पर दूर तक बने होने चाहिए..। कड़ी मेहनत और ईमानदारी आत्मबल हैं और जीवन में सफल होने की गारंटी भी..। कई बार ऐसा ऐसा लगता है कि..जीवन की आपाधापी में कहीं हम पीछे तो नही हो रहे.. तब हमारा धैर्य हमें दिलासा देता है..। हमें बताता है.."ऐसा नही है..।" अपनी ताकत को पहचानिए..। उसे सम्मान दीजिए..। आपको इज्ज़त मिलेगी..। भले ही आप कुछ भी हों..! कहीं भी हों..! कोई भी हों...!

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Ranjana Gupta "ranjanawrites"
    06 जून 2021
    बहुत अच्छी कहानी ।कहानी का सार बहुत अच्छा है ।आज इस कहानी ने मुझे भी अपने कॉलेज के दिन याद दिला दिये ।वास्तव में ऐसा ही होता है !
  • author
    ROOP YADAV
    10 मई 2021
    Bohot dil se likhi hui...Dil ko chhu gai ye kahani
  • author
    shariq ali
    10 मई 2021
    कहानी ने शुरू से अंत तक बांधे रखा।
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    Ranjana Gupta "ranjanawrites"
    06 जून 2021
    बहुत अच्छी कहानी ।कहानी का सार बहुत अच्छा है ।आज इस कहानी ने मुझे भी अपने कॉलेज के दिन याद दिला दिये ।वास्तव में ऐसा ही होता है !
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    ROOP YADAV
    10 मई 2021
    Bohot dil se likhi hui...Dil ko chhu gai ye kahani
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    shariq ali
    10 मई 2021
    कहानी ने शुरू से अंत तक बांधे रखा।