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मैं पलाश चतुर्वेदी

4.2
8296

“मैं पलाश चतुर्वेदी आज इन पत्तों को साक्षी मानकर तुम्हें अपनी पत्नी स्वीकार करता हूं ।“ “ये क्या बकवास है ?“ -कहते हुए मेघा ने तेजी से अपना हाथ पलाश की हथेली से वापस खींचा । “अरे तुम्हें नही पता, ये ...

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लेखक के बारे में
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मिताली सिंह

M.A. , M.Ed. दिल्ली युनिवेर्सिटी से ।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Narayan Gaurav
    15 ऑक्टोबर 2016
    कहानी केवल वह नहीं है जो पाठक को कल्पना के सुंदर से आकाश की सैर करा दे बल्कि वह भी है जो व्यावहारिकता के धरातल पर ला पटके । इस कहानी में दोनों ही बाते हैं । बहुत खूब मिताली सिंह । ☺
  • author
    madhu
    18 ऑक्टोबर 2016
    बहुत ही गहरायी से वर्तमान समय में प्यार का मतलब समझाती हुई... तुम्हारी कहानी- ''मैं पलाश चतुर्वेदी''।
  • author
    मीना मल्लवरपु
    24 मे 2019
    A perfect story!!श की जगह ष का प्रयोग खटकता है-कृपया उसे संशोधित कर लें!
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    Narayan Gaurav
    15 ऑक्टोबर 2016
    कहानी केवल वह नहीं है जो पाठक को कल्पना के सुंदर से आकाश की सैर करा दे बल्कि वह भी है जो व्यावहारिकता के धरातल पर ला पटके । इस कहानी में दोनों ही बाते हैं । बहुत खूब मिताली सिंह । ☺
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    madhu
    18 ऑक्टोबर 2016
    बहुत ही गहरायी से वर्तमान समय में प्यार का मतलब समझाती हुई... तुम्हारी कहानी- ''मैं पलाश चतुर्वेदी''।
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    मीना मल्लवरपु
    24 मे 2019
    A perfect story!!श की जगह ष का प्रयोग खटकता है-कृपया उसे संशोधित कर लें!