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मेरे देश की धरती सोना उगले लेखन प्रतियोगिता।

4.8
133

हाय कृषक की करूण कहानी, मुख से कही न जाए जग की भूख मिटाने वाला, खुद भूखा सो जाये मेरे देश की धरती सोना उगले, फिर भी झूम के गाये पेट में मिट्टी बाँध वो अपने, पेट की आग बुझाये कभी आपदा बाढ़ की ...

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लेखक के बारे में
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Sushma Jain
समीक्षा
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  • author
    sushma gupta
    26 अगस्त 2019
    किसानों की लाचारी को जीवंत करती मार्मिक मर्मस्पर्शी रचना 💐💐💐💐💐
  • author
    Vकास Kश्री 🧡
    26 अगस्त 2019
    अद्भुत कविता मन को द्रवित करती वर्तमान कृषक जीवन की असल सचाई।किसान आदि काल से ही शोषित होता आ रहा है।जब तक देश के किसान बेहतर नही होगा हमारा देश असल मे महान नही होगा।भविष्य की शुभकामनाये 🙏💐
  • author
    Krishna Tiwari "देव"
    27 अगस्त 2019
    यही तो देश की विडंबना है सुषमा जी की देश का पेट भरने वाला किसान खुद भूखे पेट सोता है,उसकी व्यथा को बहुत ही सुंदर शब्दों में उकेरा आपने ।
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    sushma gupta
    26 अगस्त 2019
    किसानों की लाचारी को जीवंत करती मार्मिक मर्मस्पर्शी रचना 💐💐💐💐💐
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    Vकास Kश्री 🧡
    26 अगस्त 2019
    अद्भुत कविता मन को द्रवित करती वर्तमान कृषक जीवन की असल सचाई।किसान आदि काल से ही शोषित होता आ रहा है।जब तक देश के किसान बेहतर नही होगा हमारा देश असल मे महान नही होगा।भविष्य की शुभकामनाये 🙏💐
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    Krishna Tiwari "देव"
    27 अगस्त 2019
    यही तो देश की विडंबना है सुषमा जी की देश का पेट भरने वाला किसान खुद भूखे पेट सोता है,उसकी व्यथा को बहुत ही सुंदर शब्दों में उकेरा आपने ।