हाय कृषक की करूण कहानी, मुख से कही न जाए जग की भूख मिटाने वाला, खुद भूखा सो जाये मेरे देश की धरती सोना उगले, फिर भी झूम के गाये पेट में मिट्टी बाँध वो अपने, पेट की आग बुझाये कभी आपदा बाढ़ की ...
हाय कृषक की करूण कहानी, मुख से कही न जाए जग की भूख मिटाने वाला, खुद भूखा सो जाये मेरे देश की धरती सोना उगले, फिर भी झूम के गाये पेट में मिट्टी बाँध वो अपने, पेट की आग बुझाये कभी आपदा बाढ़ की ...