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मेरी विभु

4.9
430

अरे तुम कैसी मां हो जो खुद ही अपने बच्चे को अपने आप से दूर कर रही हो मैंने गायत्री के सामने प्रतिवाद करते हुए कहा । मैंने कहा ना इस मामले में मैं आपकी बिल्कुल नहीं सुनूंगी एक बार मैंने जो फैसला ...

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लेखक के बारे में
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Kajal Pawar

मुझे लेखिका बनाने का श्रेय पूर्ण रूप से प्रतिलिपि को जाता है । अगर आप कुछ अलग हटके पढ़ना चाहते हैं तो कृपया मेरी साधारण सी कहानियां अवश्य पढ़ें । मेरी धारावाहिक कहानियां --- 1.एक लड़की भीगी भागी सी ---(समाप्त) 2. डेढ़ चम्मच खुशियां -------- (समाप्त) 3. हाफ दुल्हनिया --------------(समाप्त) 4. मेरी तीन स्टूपिड सहेलियां----( समाप्त) 5. दिल्ली पर पड़ी खरोच -------(समाप्त) 6. बिना प्रेम की प्रेम कहानी ----(समाप्त) 7.मेरी पिया की महबूबा सीजन 3-( समाप्त) 8.उसकी कुरती का वो बटन सीजन2 -(समाप्त) 9. ढाई सौ ग्राम शादी -------------(समाप्त) 10. प्रतिबिंब----------------------( समाप्त) 11. सात फेरों की साढ़ेसाती------( समाप्त) 12.एक टुकड़ा इश्क--------------(समाप्त) 13.कभी यूं भी होता है ----------(समाप्त) जा़री धारावाहिक------- 1. वो तेरी चांद बालियां

समीक्षा
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  • author
    navneeta chourasia
    31 ജനുവരി 2023
    बहुत प्यारी सी कहानी👌👌👏👏 लगभग हर घर में बेटियों को घर से बाहर पढ़ने या नौकरी पर जाने के पहले लगभग यही गृह युद्ध चलता है। ऐसा लगा जैसे बिल्कुल मेरे ही घर की कहानी है। जहां बेटी को बाहर भेजते हुए उसके पापा की आंखें नम थीं ,वहीं मैं दृढ़ खड़ी थी।👍👍👌👌👏👏 प्रतियोगिता में स्थान बनाने के लिए बहुत-बहुत बधाइयां 🙏🙏💐💐❤️
  • author
    savita bhandari
    15 ജനുവരി 2023
    owesome,superb,out standing,mind blowing,बेहतरीन कहानी ,सच मैं हम बच्चो को कही भी अकेले भेजने से डरते हैं की पता नही कैसे रहेगी ,क्या करेगी ,रह भी पाएगी ,उसे कुछ करना नही आता ,कभी अकेली घर से बाहर नहीं भेजा पता नहीं कुछ कर भी पाएगी या नहीं ,कितनी सारी सोचे होती हैं मां बाप के पास जब बच्चे को बाहर भेजने होता है हां यह जरूर होता है कि वो छोटा बच्चा नहीं होता है लेकिन मां बाप के लिए बच्चे कभी बड़े ही नही होते,,आपकी यह कहानी दिल को छू गई ,यह भी सच है कि बच्चे बाहर निकलने के बाद काफी परिपक्व और समझदार हो जाते हैं क्युकी तब उन्हे जिंदगी की लड़ाई खुद लड़नी पड़ती है और धीरे धीरे वो सिख भी जाते है जैसे इस कहानी में है,,,बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बाडिया कहानी ,,,🙏❤️👌👌🌹👌👌👌👌💐👌👌👌👌🥰👌👌👌👌❤️❤️❤️👌👌👌👌💐🌹
  • author
    Muskan Goswami
    28 ജനുവരി 2024
    बच्चे चाहे कितने भी बड़े हो जाएं मां बाप को हमेशा छोटे ही लगते हैं। पर बच्चों को आत्मनिर्भर बनाना भी बहुत जरूरी है जो कि आप की इस कहानी में बहुत अच्छे से दिखाया गया है।
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    navneeta chourasia
    31 ജനുവരി 2023
    बहुत प्यारी सी कहानी👌👌👏👏 लगभग हर घर में बेटियों को घर से बाहर पढ़ने या नौकरी पर जाने के पहले लगभग यही गृह युद्ध चलता है। ऐसा लगा जैसे बिल्कुल मेरे ही घर की कहानी है। जहां बेटी को बाहर भेजते हुए उसके पापा की आंखें नम थीं ,वहीं मैं दृढ़ खड़ी थी।👍👍👌👌👏👏 प्रतियोगिता में स्थान बनाने के लिए बहुत-बहुत बधाइयां 🙏🙏💐💐❤️
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    savita bhandari
    15 ജനുവരി 2023
    owesome,superb,out standing,mind blowing,बेहतरीन कहानी ,सच मैं हम बच्चो को कही भी अकेले भेजने से डरते हैं की पता नही कैसे रहेगी ,क्या करेगी ,रह भी पाएगी ,उसे कुछ करना नही आता ,कभी अकेली घर से बाहर नहीं भेजा पता नहीं कुछ कर भी पाएगी या नहीं ,कितनी सारी सोचे होती हैं मां बाप के पास जब बच्चे को बाहर भेजने होता है हां यह जरूर होता है कि वो छोटा बच्चा नहीं होता है लेकिन मां बाप के लिए बच्चे कभी बड़े ही नही होते,,आपकी यह कहानी दिल को छू गई ,यह भी सच है कि बच्चे बाहर निकलने के बाद काफी परिपक्व और समझदार हो जाते हैं क्युकी तब उन्हे जिंदगी की लड़ाई खुद लड़नी पड़ती है और धीरे धीरे वो सिख भी जाते है जैसे इस कहानी में है,,,बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बाडिया कहानी ,,,🙏❤️👌👌🌹👌👌👌👌💐👌👌👌👌🥰👌👌👌👌❤️❤️❤️👌👌👌👌💐🌹
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    Muskan Goswami
    28 ജനുവരി 2024
    बच्चे चाहे कितने भी बड़े हो जाएं मां बाप को हमेशा छोटे ही लगते हैं। पर बच्चों को आत्मनिर्भर बनाना भी बहुत जरूरी है जो कि आप की इस कहानी में बहुत अच्छे से दिखाया गया है।