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मेंढकी

4.2
13461

निम्मो उस दिन मालकिन की रिहाइश से लौटी तो सिर पर एक पोटली लिए थी, “मजदूरी के बदले आज कपास माँग लायी हूँ...” इधर इस इलाके में कपास की खेती जमकर होती थी और मालिक के पास भी कपास का एक खेत था जिसकी फसल ...

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लेखक के बारे में
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दीपक शर्मा

जन्म : ३० नवम्बर, १९४६ (लाहौर, अविभाजित भारत) लखनऊ क्रिश्चियन कालेज के स्नातकोत्तर अंग्रेज़ी विभाग से अध्यक्षा, रीडर के पद से सेवा-निवृत्त। प्रकाशन : सोलह कथा-संग्रह : १. हिंसाभास (१९९३) किताब-घर, दिल्ली २. दुर्ग-भेद (१९९४) किताब-घर, दिल्ली ३. रण-मार्ग (१९९६) किताब-घर, दिल्ली ४. आपद-धर्म (२००१) किताब-घर, दिल्ली ५. रथ-क्षोभ (२००६) किताब-घर, दिल्ली ६. तल-घर (२०११) किताब-घर, दिल्ली ७. परख-काल (१९९४) सामयिक प्रकाशन, दिल्ली ८. उत्तर-जीवी (१९९७) सामयिक प्रकाशन, दिल्ली ९. घोड़ा एक पैर (२००९) ज्ञानपीठ प्रकाशन, दिल्ली १०. बवंडर (१९९५) सत्येन्द्र प्रकाशन, इलाहाबाद ११. दूसरे दौर में (२००८) अनामिका प्रकाशन, इलाहाबाद १२. लचीले फ़ीते (२०१०) शिल्पायन, दिल्ली १३. आतिशी शीशा (२०००) आत्माराम एंड सन्ज़, दिल्ली १४. चाबुक सवार (२००३) आत्माराम एंड सन्ज़, दिल्ली १५. अनचीता (२०१२) मेधा बुक्स, दिल्ली १६. ऊँची बोली (२०१५) साहित्य भंडार, इलाहाबाद १७. बाँकी (साहित्य भारती, इलाहाबाद द्वारा शीघ्र प्रकाश्य)

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    लीना मल्होत्रा
    25 फ़रवरी 2019
    मेंढकी पढ़कर दो ख्याल एक साथ आये कि अगर ये हुनर उस पुरुष के पास होता तो क्या उसका भी यही हश्र होता। स्त्री देह ही सिर्फ हिंसा नहीं झेलती बल्कि उसका मन, उसका हुनर भी झेलता है। पितृसत्ता इतनी गहरी पैठी हुई है कि यदि वह दरि बुनने में मग्न न होती तो कोई भी काम छोड़कर उसे कील दे देती। सिर्फ प्रतिभा ही पितृ सत्ता से लोहा ले सकती है।
  • author
    Barkha Verma
    22 नवम्बर 2018
    Mrd bs or kuch nhi,Inki mrdangi,inki ijjat,inki jid baki SB bekar,anpadh Mrd .
  • author
    18 नवम्बर 2018
    कहानी की शुरुआत बेहद कसी हुई है लेकिन अंत बेहद ही नीरस।
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    लीना मल्होत्रा
    25 फ़रवरी 2019
    मेंढकी पढ़कर दो ख्याल एक साथ आये कि अगर ये हुनर उस पुरुष के पास होता तो क्या उसका भी यही हश्र होता। स्त्री देह ही सिर्फ हिंसा नहीं झेलती बल्कि उसका मन, उसका हुनर भी झेलता है। पितृसत्ता इतनी गहरी पैठी हुई है कि यदि वह दरि बुनने में मग्न न होती तो कोई भी काम छोड़कर उसे कील दे देती। सिर्फ प्रतिभा ही पितृ सत्ता से लोहा ले सकती है।
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    Barkha Verma
    22 नवम्बर 2018
    Mrd bs or kuch nhi,Inki mrdangi,inki ijjat,inki jid baki SB bekar,anpadh Mrd .
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    18 नवम्बर 2018
    कहानी की शुरुआत बेहद कसी हुई है लेकिन अंत बेहद ही नीरस।