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मुफ्त की रोटी

4.6
11456

औरत की ज़िंदगी का एक अदबुद सच

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लेखक के बारे में
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Deepak SINGLA

पेशे से वकील लेकिन दिल से कलाकार

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Chhaya Srivastava
    22 मार्च 2019
    कहानी आज के समय की नही लगती,यह पुराने वक्त की कहानी है जब औरत का खाना खाना भी गुनाह होता था।पर आज ऐसा नही है,जिस तरह के घर का वर्णन है उस तरह के घर मे नही हो सकता।बाकी रही मुफ्त की रोटी की बात तो वो लोग जो यह कहते है वो छोटी मानसिकता के लोग होते है।
  • author
    Archana Varshney
    06 मार्च 2019
    शाम चार बजे तक कुछ न खाने वाला जमाना गया ।
  • author
    Amit dubey
    12 जुलाई 2019
    नहीं सर बिलकुल नहीं घर में एक गृहनी की जगह कोई नहीं ले सकता है और सायद ही कोई समझ सके
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  • author
    Chhaya Srivastava
    22 मार्च 2019
    कहानी आज के समय की नही लगती,यह पुराने वक्त की कहानी है जब औरत का खाना खाना भी गुनाह होता था।पर आज ऐसा नही है,जिस तरह के घर का वर्णन है उस तरह के घर मे नही हो सकता।बाकी रही मुफ्त की रोटी की बात तो वो लोग जो यह कहते है वो छोटी मानसिकता के लोग होते है।
  • author
    Archana Varshney
    06 मार्च 2019
    शाम चार बजे तक कुछ न खाने वाला जमाना गया ।
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    Amit dubey
    12 जुलाई 2019
    नहीं सर बिलकुल नहीं घर में एक गृहनी की जगह कोई नहीं ले सकता है और सायद ही कोई समझ सके