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मुकम्मल इश्क़

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4.3

रिश्ता बड़ा अजीब है मेरा और उसका, मुकम्मल ना होने पर मुकम्मल कहलायेगा। डरता नहीं हूँ  खोने से जो मेरा है ही नहीं , क्योंकि साथ तो खुद की जिन्दगी का भी छूट जाएगा।। जिन्दगी लगा दो सपनों को पाने ...