आज पूर्वा बयार क्या बहने लगी स्वप्न मानसून का साकार होने लगा .। था प्रकृति को वर्षों से इसका इंतजार न जाने बहेगी कब पूर्वा बयार आज पेड़ पौध बयार संग झूमने लगा पात हरियाली के रंग में रंगने लगा। ...
मैं इंदिरा एक गृहिणी हूँ । मेरी शैक्षणिक योग्यता M.Sc (Chem)और B.ed है। मुझे प्रकृति व संवेदनशील घटना पर कविता लिखना अच्छा लगता है। इसके अलावा हास्य, व्यंग्य, जोगीरा (होली)पर भी लिखती हूँ ।और आपसे पढ़ने की अपेक्षा रखती हूँ।
सारांश
मैं इंदिरा एक गृहिणी हूँ । मेरी शैक्षणिक योग्यता M.Sc (Chem)और B.ed है। मुझे प्रकृति व संवेदनशील घटना पर कविता लिखना अच्छा लगता है। इसके अलावा हास्य, व्यंग्य, जोगीरा (होली)पर भी लिखती हूँ ।और आपसे पढ़ने की अपेक्षा रखती हूँ।
रिपोर्ट की समस्या
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