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मां का‌ पुराना बक्सा

4.9
632

कल‌ सुबह उतारा था दुछत्ती से मां का वो पुराना बक्सा, आया जो मेरे हिस्से में बंटवारे के बाद में। घर-बर्तन भाभियों ने बांटे, रुपया-जमीन भाइयों ने, मैं मूरख ले आई वो बक्सा अपने साथ में। पति हंसे, ...

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लेखक के बारे में
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ईशा अग्रवाल

"लिखना... लेखक की ताकत है और कमजोरी भी, वो अपने हर जज़्बात को शब्द जो दे देता है।" नमस्ते... मैं ईशा अग्रवाल। मैं कहानियां और कविताएं लिखने और पढ़ने का शौक रखती हूं। अपने विचारों और कल्पनाओं को शब्दों में ढालने का प्रयास करती हूं। आशा करती हूं कि आपको पसंद आएगा। कुछ कहानियां और कविताएं पत्रिकाओं और समाचार पत्रों में प्रकाशित भी हुई हैं। धन्यवाद 🙏🙂 मेरे साथ Instagram पर जुड़िए @iridescent_ishaagarwal © All rights reserved

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    संतोष नायक
    23 జులై 2019
    'मां का पुराना बक्सा'यही तो'असली जायदाद....यादों का ये पुराना बक्सा हैं जो...... बेटी के हाथ आई है'।सुंदर भावाभिव्यक्ति।बधाई।
  • author
    Komal Sehgal
    22 జులై 2019
    मेरे पास केवल माँ के दिल की बातें जो मै ही कहसुन सकती हूँ किसी को कह नही पाती वही हैैैं जो मैं मरते दम तक सहेजना चाहती हूँ बहुत दर्द सहा है ज़िदगी में मेरी माँ ने ।
  • author
    18 జులై 2019
    मा की सारी चीजें बहुमूल्य रत्न के सामान होते हैं क्योंकि वो अपने लिए रखती है पर साथ ही साथ उसमे बच्चे का ध्यान रहता है कि आने वाले समय में काम आए
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    संतोष नायक
    23 జులై 2019
    'मां का पुराना बक्सा'यही तो'असली जायदाद....यादों का ये पुराना बक्सा हैं जो...... बेटी के हाथ आई है'।सुंदर भावाभिव्यक्ति।बधाई।
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    Komal Sehgal
    22 జులై 2019
    मेरे पास केवल माँ के दिल की बातें जो मै ही कहसुन सकती हूँ किसी को कह नही पाती वही हैैैं जो मैं मरते दम तक सहेजना चाहती हूँ बहुत दर्द सहा है ज़िदगी में मेरी माँ ने ।
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    18 జులై 2019
    मा की सारी चीजें बहुमूल्य रत्न के सामान होते हैं क्योंकि वो अपने लिए रखती है पर साथ ही साथ उसमे बच्चे का ध्यान रहता है कि आने वाले समय में काम आए