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माँ

4.5
3456

जैसे ही उसके कंधे पर किसी ने हाथ रखा, उसने घबराकर हाथ झटक दिया, मुड़कर देखा तो रीमा थी। "मैंने तो बड़े प्यार से हाथ रखा था, पर तुम तो ऐसे चौंकी, जैसे करंट लग गया हो?'' रेखा की तेज चलती साँसों को ...

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लेखक के बारे में
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रमेश रावत

मुझे बचपन से लिखने औए पढ़ने का शौक था, कुछ पत्रिकाओं में एक दो कविताएं भी प्रकाशित हुई। जब कॉलेज फाइनल ईयर में था तो मेरी एक कविता ने सबके दिलों को छू लिया था, बहुत जल्दी वह कविता आपको यह देखने को मिलेगी। कविता का नाम था " मेरे मन की कुछ इच्छाएं"। फिर प्रतिलिपि के बारे में पता चला तो यह कुछ लिखने की कोशिश कर रहा हूँ। आप मेरी कहानियां मेरे यूट्यूब चैनल पर भी सुन सकते है। https://www.youtube.com/channel/UCaAy8f6o2WFiBnbdJMDShJA अगर अपनी प्रतिक्रिया देकर मेरा मनोबल बढ़ा सकते है।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    29 मई 2022
    घर घर की यही कहानी हो गई है बेटे बड़े होकर परिवार से मुंह मोड़ने लगे है फिर भी लोगों को बेटों की चाहत कम नहीं होती बेटों से भली बेटियां हो गई है
  • author
    sweta tomar
    19 जनवरी 2022
    nice story sahi kaha aapne ab beta beti main koi fark nhi hai Fir bhi log ladke ke liye kyun Pagal rehte hai
  • author
    pradeep kumar Gupta
    03 नवम्बर 2021
    बहुत सुंदर
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    29 मई 2022
    घर घर की यही कहानी हो गई है बेटे बड़े होकर परिवार से मुंह मोड़ने लगे है फिर भी लोगों को बेटों की चाहत कम नहीं होती बेटों से भली बेटियां हो गई है
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    sweta tomar
    19 जनवरी 2022
    nice story sahi kaha aapne ab beta beti main koi fark nhi hai Fir bhi log ladke ke liye kyun Pagal rehte hai
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    pradeep kumar Gupta
    03 नवम्बर 2021
    बहुत सुंदर