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माँ

4.5
4788

एक लम्बे समय के बाद सपना साकार हुआ था। बेटे की नौकरी लग गई थी। पिता को अपने कंधे हल्के लगने लगे थे वहीं माँ ने अपना आँचल फैलाकर आसमान की ओर देखा था। बेटा दूसरे शहर में नौकरी करने चला गया था। वहीं से ...

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लेखक के बारे में
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डॉ0 पूरन सिंह
समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    babita Gupta
    20 जनवरी 2019
    माँ की ममता और संतोष बच्चों के मन के सुख मे बसता है, ना कि मायावी सुख मे।बेहतरीन रचना ।
  • author
    विजय सिंह "बैस"
    28 जुलाई 2019
    कहानी का अंत बहुत दुखी कर गया शायद माँ को बेटे का झूठ समझ में आ गया ।
  • author
    15 सितम्बर 2019
    तमाम उम्र मां ने देखी है मुश्किलें. मगर मां मेरे सामने कभी ना रोई...!
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    babita Gupta
    20 जनवरी 2019
    माँ की ममता और संतोष बच्चों के मन के सुख मे बसता है, ना कि मायावी सुख मे।बेहतरीन रचना ।
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    विजय सिंह "बैस"
    28 जुलाई 2019
    कहानी का अंत बहुत दुखी कर गया शायद माँ को बेटे का झूठ समझ में आ गया ।
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    15 सितम्बर 2019
    तमाम उम्र मां ने देखी है मुश्किलें. मगर मां मेरे सामने कभी ना रोई...!