● माँ- बाप का नाम ‘वो कागज़ की कश्ती, वो बारिश का पानी...’ जगजीत सिंहजी की मखमली आवाज़ में ग़ज़ल सुनते हुए वृद्ध तेजपाल ने महसूस किया, यही तो इस जीवन का निचोड़ है, ‘ज़िंदगी बारिश है और इंसान है कागज़ ...
एक कहानी संग्रह 'अंतहीन सफ़र पर' इंक पब्लिकेशन से तथा एक कविता संग्रह ’अच्छे दिनों के इंतज़ार में’ सृजनलोक प्रकाशन से प्रकाशितl पत्र पत्रिकाओं यथा, राजस्थान पत्रिका, दैनिक भास्कर, अहा! जिंदगी, कादम्बिनी , बाल भास्कर आदि में रचनाएं प्रकाशित।
अध्यापन के क्षेत्र में कार्यरत।
सारांश
एक कहानी संग्रह 'अंतहीन सफ़र पर' इंक पब्लिकेशन से तथा एक कविता संग्रह ’अच्छे दिनों के इंतज़ार में’ सृजनलोक प्रकाशन से प्रकाशितl पत्र पत्रिकाओं यथा, राजस्थान पत्रिका, दैनिक भास्कर, अहा! जिंदगी, कादम्बिनी , बाल भास्कर आदि में रचनाएं प्रकाशित।
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कड़वा किंतु सत्य । आंसुओं की वजह से लिखना नही हो पा रहा पर लिखे बिना मन मानेगा भी नही सर । सचित्र अगर किसी घटना का वर्णन करने को कहा जाए तो वो ऐसा ही होगा । सच में ही हमारी पीढ़ी इतनी स्वार्थी हो गई है की अपने जन्मदाता के द्वारा झेले गए कष्ट को भी अनदेखा कर देती हैं 😥😥😥😥
साथ ही ये बात भी सत्य है की जो हम बोएंगे वही काटेंगे भी । तेजपाल जैसे अनेक बेटे ऐसे ही हैं जिन्हे उम्र होने के बाद खुद उसी स्थिति से गुजरने पर समझ आता है की उन्होंने क्या खोया । पर अफसोस अब समझ आया भी तो कुछ नही किया जा सकता । समय तो रेत की तरह फिसल गया हाथों से । राधे राधे 🙏
आगे के लिए शुभकामनाएं आपको हमारी ओर से । 🙏
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कहानी बहुत अच्छी है दिल को छू गई।
पर एक चीज खटक गई मां का नाम याद ना रहना सही है।
परंतु पिता का नाम हर जगह लगता है यहां तक कि इस वृद्धाश्रम को बनवाने के लिए भी तेजपाल ने जब रजिस्ट्री करवाई होगी तो अपने पिता का नाम उसे देना ही पड़ा होगा।
भावुकता लाना अच्छी बात है, पर जमीन से जुड़ी हुई कहानियों में कुछ बातें हम इग्नोर नहीं कर सकते 🙏🙏💐💐
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कड़वा किंतु सत्य । आंसुओं की वजह से लिखना नही हो पा रहा पर लिखे बिना मन मानेगा भी नही सर । सचित्र अगर किसी घटना का वर्णन करने को कहा जाए तो वो ऐसा ही होगा । सच में ही हमारी पीढ़ी इतनी स्वार्थी हो गई है की अपने जन्मदाता के द्वारा झेले गए कष्ट को भी अनदेखा कर देती हैं 😥😥😥😥
साथ ही ये बात भी सत्य है की जो हम बोएंगे वही काटेंगे भी । तेजपाल जैसे अनेक बेटे ऐसे ही हैं जिन्हे उम्र होने के बाद खुद उसी स्थिति से गुजरने पर समझ आता है की उन्होंने क्या खोया । पर अफसोस अब समझ आया भी तो कुछ नही किया जा सकता । समय तो रेत की तरह फिसल गया हाथों से । राधे राधे 🙏
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