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हिन्दी

महाराणा प्रताप

4.5
570

कतरी करा अनरी बढ़ाई, पग पग पे मेवाड़ अनरी कथा सुनाई। लोक माया त्याग वन में दिओ जीवन बिताई, राजकुँवर अमरा ने घास खिला दी रोटी बताई। खानेखाना औऱ बेगम ने घरे दियो पुगाई, अमर सिंह ने सिखला दियो क्षात्र ...

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लेखक के बारे में

मैं नही जानता हूँ, छंद औऱ अलंकारों को हिंदी का माली हूँ, पुष्प रूपी शब्दो को, लय के धागों में पिरो लेता हूँ।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    17 अक्टूबर 2021
    मित्रवर श्री सुरेन्द्र प्रताप सिंह जी बहुत बहुत बधाई और साधुवाद। जणां रा नाम सूं छाती चौगुणी और शीश हिमालय सूं ऊँचो हो जावै उण मेवाड़ रा राणा रो यशोगान राजपूतां रो अभिमान, मातृभूमि री आन, किंया करूं बखान उणरी शान में मेरो प्रणाम।
  • author
    Shreya Chaturvedi
    11 जून 2019
    bahut Khoob
  • author
    Aniruddhsinh zala "રાજ"
    27 अक्टूबर 2021
    વાહ વાહ ખુબ જ સુંદર લેખની છે આપની થોડું પણ મધૂર લખો છો અત્યંત અવર્ણીય સુંદરતમ
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    17 अक्टूबर 2021
    मित्रवर श्री सुरेन्द्र प्रताप सिंह जी बहुत बहुत बधाई और साधुवाद। जणां रा नाम सूं छाती चौगुणी और शीश हिमालय सूं ऊँचो हो जावै उण मेवाड़ रा राणा रो यशोगान राजपूतां रो अभिमान, मातृभूमि री आन, किंया करूं बखान उणरी शान में मेरो प्रणाम।
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    Shreya Chaturvedi
    11 जून 2019
    bahut Khoob
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    Aniruddhsinh zala "રાજ"
    27 अक्टूबर 2021
    વાહ વાહ ખુબ જ સુંદર લેખની છે આપની થોડું પણ મધૂર લખો છો અત્યંત અવર્ણીય સુંદરતમ