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भूख

4.8
1007

इंसान की भूख कहाँ ख़त्म होगी ?

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लेखक के बारे में
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Deepak Dixit

निवास : सिकंदराबाद (तेलंगाना) सम्प्रति : स्वतंत्र लेखन संपर्क : [email protected] , 9589030075 प्रकाशित पुस्तकें योग मत करो, योगी बनो (भाल्व पब्लिशिंग, भोपाल),2016 दृष्टिकोण (कथा संग्रह) Pothi.com पर स्वयं-प्रकाशित,2019 * दोनों पुस्तकें Pothi.com पर ईबुक (ebook) के रूप में भी उपलब्ध हैं, लिंक के लिए मेरा ब्लॉग देखें शिक्षा से अभियंता (धन्यवाद-आई.आई.टी.रुड़की), प्रशिक्षण से सैनिक (धन्यवाद- भारतीय सेना), स्वभाव से आध्यात्मिक और पढ़ाकू हूँ। पिछले कुछ वर्षों से लेखन कार्य में व्यस्त हूँ। पढ़ने के शौक ने धीरे-धीरे लिखने की आदत लगा दी। अब तक चार पुस्तक (दो अंग्रेजी में मिलाकर) व एक दर्जन साँझा-संकलन प्रकाशित हुए हैं। हिंदी और अंग्रेजी में ब्लॉग लिखता हूँ। ‘मेरे घर आना जिंदगी’ (http://meregharanajindagi.blogspot.in/) ब्लॉग के माध्यम से लेख, कहानी, कविता और शोध-पत्रों का प्रकाशन। प्रसिद्ध पत्र-पत्रिकाओं तथा वेबसाइट में 100 से अधिक रचनाओं का प्रकाशन हुआ है। साहित्य के अनेक संस्थान में सक्रिय सहभागिता है। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर की कई गोष्ठियों में भाग लिया है तथा कविता/आलेख/शोध-पत्र वाचन किया है। दस से अधिक साहित्यिक मंचों द्वारा पुरस्कृत / सम्मानित किया जा चुका है।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
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    22 ಅಕ್ಟೋಬರ್ 2018
    मान्यवर श्री दीपक दीक्षित जी,जीवन की अनेक टेढी-मेढी राहों से गुजरते हुए आपने अपने अनुभव से प्राप्त ज्ञान को अन्य लोगों के मार्गदर्शन हेतु प्ररेक ढंग से प्रस्तुत किया है वह न केवल सराहनीय है,अपितु अनुकरणीय भी है।बहुत-बहुत बधाई।
  • author
    Sudhir Kumar Sharma
    28 ಜೂನ್ 2019
    अद्भुत. आजकल देश के अधिकांश आर्थिक संसाधन कुछ मुठ्ठी भर लोगों की आपसी बंदरबाँट में सिमट कर रह जाते हैं
  • author
    sushma gupta
    04 ಜುಲೈ 2019
    सर जी रचना तो बेहतरीन है ही, कवर फोटो बहुत ज्यादा आकर्षक है 👌👌👌👌👌💐💐💐💐💐
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    22 ಅಕ್ಟೋಬರ್ 2018
    मान्यवर श्री दीपक दीक्षित जी,जीवन की अनेक टेढी-मेढी राहों से गुजरते हुए आपने अपने अनुभव से प्राप्त ज्ञान को अन्य लोगों के मार्गदर्शन हेतु प्ररेक ढंग से प्रस्तुत किया है वह न केवल सराहनीय है,अपितु अनुकरणीय भी है।बहुत-बहुत बधाई।
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    Sudhir Kumar Sharma
    28 ಜೂನ್ 2019
    अद्भुत. आजकल देश के अधिकांश आर्थिक संसाधन कुछ मुठ्ठी भर लोगों की आपसी बंदरबाँट में सिमट कर रह जाते हैं
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    sushma gupta
    04 ಜುಲೈ 2019
    सर जी रचना तो बेहतरीन है ही, कवर फोटो बहुत ज्यादा आकर्षक है 👌👌👌👌👌💐💐💐💐💐