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हिन्दी

भूख

4.7
188

भूख, धर्मनिरपेक्ष होती है, जो हर किसी को लगती है, चाहें हिन्दू हो या मुसलमान। भूख, समाजवादी होती है, जो हर किसी को लगती है, चाहें अमीर हो या गरीब । भूख, समानता का स्तंभ होती है, जो दोनों को लगती है, ...

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लेखक के बारे में
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Ratna shrivastava
समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Amlendu Shekhar
    16 फ़रवरी 2019
    Realistic
  • author
    24 मार्च 2020
    बहुत अच्छी रचना है , रत्ना जी
  • author
    संतोष नायक
    23 जुलाई 2019
    सुन्दर भावाभिव्यक्ति।बधाई।
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    Amlendu Shekhar
    16 फ़रवरी 2019
    Realistic
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    24 मार्च 2020
    बहुत अच्छी रचना है , रत्ना जी
  • author
    संतोष नायक
    23 जुलाई 2019
    सुन्दर भावाभिव्यक्ति।बधाई।