मित्रवर श्री राहुल पण्डया जी बहुत-बहुत बधाई और साधुवाद। विश्वास बहुत बङी शक्ति है।विश्वास है तो सब कुछ है,विश्वास नहीं तो कुछ नहीं। है। विश्वास रखकर किया गया सत्कर्म निसंदेह फलीभूत होता ही है और जैसा कर्म होता है उसका वैसा ही फल तथा उसी मात्रा में मिलता अवश्य है। कर्ता कर्म के पश्चात मुक्त है, फल उसके हाथ में नहीं है और न ही उसे किये कार्म के लिए अहंकार करना अपेक्षित है।वह तो निमित मात्र है। मेरी क्या हैसियत है, क्या मेरी औकात है। जो कुछ किया करने वाले ने किया, जो मिला वही सौगात है।शुभम्।
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