बेनाम रिश्ता को सराहने के लिए धन्यवाद। ये कहानी का आखिरी पार्ट है जिसमे आप पढ़ेंगे की कैसे दोनों दोबारा मिले। क्या दोनों की ओर से मोहब्बत आज भी जिंदा थी? दोबारा दोनों साथ मिल पाए या नहीं।
बस यूँही बेवक्त बेवजह कुछ भी लिखने की आदत सी है मुझे
अपने जज्बातों को कागज़ पर उतारने की आदत सी है मुझे।
शुद्ध कविता, कहानी और लेख नही लिख पाता हूँ , बस भावनाओ की गहराई में लिखने की कोशिश रहती है।
सारांश
बस यूँही बेवक्त बेवजह कुछ भी लिखने की आदत सी है मुझे
अपने जज्बातों को कागज़ पर उतारने की आदत सी है मुझे।
शुद्ध कविता, कहानी और लेख नही लिख पाता हूँ , बस भावनाओ की गहराई में लिखने की कोशिश रहती है।
प्रेम अगर सच्चा हो तो कुछ भी असंभव नहीं है। विजया का नहीं होते हुए भी उसे महसूस करना, बातें करना उसकी बेटी तक पहुंचना।एक पिता की भांति उसे परवरिश देना इतना आसान नहीं था रोहित के लिए,हर पल विजया उसके साथ है यही एहसास उसके प्यार को मरने नहीं दिया। बहुत बहुत सुंदर 👌👌
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प्रेम अगर सच्चा हो तो कुछ भी असंभव नहीं है। विजया का नहीं होते हुए भी उसे महसूस करना, बातें करना उसकी बेटी तक पहुंचना।एक पिता की भांति उसे परवरिश देना इतना आसान नहीं था रोहित के लिए,हर पल विजया उसके साथ है यही एहसास उसके प्यार को मरने नहीं दिया। बहुत बहुत सुंदर 👌👌
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