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बेकाबू

4.2
24652

अप्रैल का वो दिन था  जब गर्मी की छुट्टियों में मेरे शुभ चिंतक  मास्टर जी, मेरे घर , मेरे हाल समाचार लेने आए थे। "नमस्कार मास्टर जी अाइए।" मेरी मां ने उनका अभिवादन कर उन्हें अंदर बुलाया। मै अपने कमरे ...

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लेखक के बारे में
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अजितेश आर्य

स्कूल में कहा प्यार कॉलेज में होता है , कॉलेज ने कहा कैरियर के बाद होता है , कैरियर के बाद तो शादी होती है जनाब, प्यार तो असल में बेवक्त होता है, बेवजह होता है और बेइन्हता होता है।

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Prince Thakur
    23 अप्रैल 2019
    nice story pr agla part kab ayega sir
  • author
    Nandagiri Rama Seshu
    11 जुलाई 2019
    बाल मनोविज्ञान पर आधारित यह कहानी बहुत अच्छी है। बच्चे के मन का विषय सुन्दर ढंग से प्रस्तुत किया गया
  • author
    Swati Dwivedi
    09 मार्च 2019
    आगे लिखिए हम पढ़ ने के लिये बेताब हैं
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  • author
    Prince Thakur
    23 अप्रैल 2019
    nice story pr agla part kab ayega sir
  • author
    Nandagiri Rama Seshu
    11 जुलाई 2019
    बाल मनोविज्ञान पर आधारित यह कहानी बहुत अच्छी है। बच्चे के मन का विषय सुन्दर ढंग से प्रस्तुत किया गया
  • author
    Swati Dwivedi
    09 मार्च 2019
    आगे लिखिए हम पढ़ ने के लिये बेताब हैं