pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

बिकाऊ मीडिया

4.8
279

मेरी ये रचना सलीम खान से प्रेरित है क्योंकि जैसा वो लिखते है बस उसी अंदाज में मुझे भी लिखने की आदत है तो बस उनकी ही अधूरी रचना को आगे बढाने के लिए मेने भी एक प्रयास किया और वर्तमान परिदृश्य को ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में

⛳⛳प्रदेशाध्यक्ष ,,,,,,हिन्दू विचार मंच ,मध्यप्रदेश⛳⛳

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    02 दिसम्बर 2018
    उत्कृष्ट रचना श्रीमान ।आपने इस रचना में जिन मुख्य बिंदुओं को उतारा है वो वाक़ई में काबिले तारीफ है ;बेशक हमारे लोकतंत्र का सबसे मजबूत स्तंभ कागज के रंगीन के टुकड़ो के मायाजाल में आ चुकी है ।आपने इस रचना के माध्यम से उन पर चोट भी की है ।ओजस्व लेखनी ।।
  • author
    Kiran Singh
    03 दिसम्बर 2018
    ऐसा ही होता जब हम देश के लिए कोई अच्छे व्यक्तिक्त को चुनते तो बह भी कुर्सी बचाने सत्ता बचाने मे भ्रष्ट हो जाता अपना ईमान बेच देता देश को दाँव पर लगा देता सत्ता पर काबिज होते साथ पागल हो जाता कुर्सी बचाने के चक्कर मे भ्रिमित हो जाता जवानो की गर्दन कट बाने के बाद शर्म नाम की कोई चीज नही रहती जब जनता जनार्दन उन्हैं सीट फर से उतार देती तब शायद अपनी गलती समझें
  • author
    Vinni Gharami
    03 अगस्त 2019
    एक जमाना था जब बाबा खुद न्यूज़ चलाते थे अब जमाना है बाबा कहते न्यूज से सबसे ज्यादा बच्चे बिगड़ते हैं सच है चैनल अब आम जनता की नहीं है टीआरपी के भूखे न्यूज़ चैनल आतंकवादी और नेताओं की बन कर रह गई बहुत सही लिखा है आपने
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    02 दिसम्बर 2018
    उत्कृष्ट रचना श्रीमान ।आपने इस रचना में जिन मुख्य बिंदुओं को उतारा है वो वाक़ई में काबिले तारीफ है ;बेशक हमारे लोकतंत्र का सबसे मजबूत स्तंभ कागज के रंगीन के टुकड़ो के मायाजाल में आ चुकी है ।आपने इस रचना के माध्यम से उन पर चोट भी की है ।ओजस्व लेखनी ।।
  • author
    Kiran Singh
    03 दिसम्बर 2018
    ऐसा ही होता जब हम देश के लिए कोई अच्छे व्यक्तिक्त को चुनते तो बह भी कुर्सी बचाने सत्ता बचाने मे भ्रष्ट हो जाता अपना ईमान बेच देता देश को दाँव पर लगा देता सत्ता पर काबिज होते साथ पागल हो जाता कुर्सी बचाने के चक्कर मे भ्रिमित हो जाता जवानो की गर्दन कट बाने के बाद शर्म नाम की कोई चीज नही रहती जब जनता जनार्दन उन्हैं सीट फर से उतार देती तब शायद अपनी गलती समझें
  • author
    Vinni Gharami
    03 अगस्त 2019
    एक जमाना था जब बाबा खुद न्यूज़ चलाते थे अब जमाना है बाबा कहते न्यूज से सबसे ज्यादा बच्चे बिगड़ते हैं सच है चैनल अब आम जनता की नहीं है टीआरपी के भूखे न्यूज़ चैनल आतंकवादी और नेताओं की बन कर रह गई बहुत सही लिखा है आपने