pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

बादल के उस पार

4.3
10337

सुलक्षणा पंचतत्व मे विलीन हो रही थी। आग की लपटों ने उसको अपने आग़ोश मे ले लिया था । उसके जलने के साथ ही उसके और अमोल के सपने भी धू-धू कर पंचतत्व मे धुआँ हो रहे थे । इतना बड़ा दुख कोइ कैसे सहन कर पाता ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
author
शशि पाण्डेय

हास्य व्यंग्यकार , कवयित्री , कहानीकार

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Ashok Upadhyay
    16 नवम्बर 2018
    I deeply touched the thoughts .your thoughts for us to rely on the heart touching feelings and valuable sentiment expressed .
  • author
    Archana Kumari
    05 अगस्त 2018
    dil ko chhune wali nahi balki dil ke par ho jane wali and very nice story
  • author
    सोमेश कुमार
    07 जून 2018
    मार्मिक कथा जिसमे संभावनाए बहुत थीं पर विवरणात्मक की अधिकता के कारण प्रभाव नहीं छोड़ सकी . शायद ये कहानी घटनाओं और वार्तालापों के सम्मिश्रण से अधिक प्रभावी बनाई जा सकती है .
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Ashok Upadhyay
    16 नवम्बर 2018
    I deeply touched the thoughts .your thoughts for us to rely on the heart touching feelings and valuable sentiment expressed .
  • author
    Archana Kumari
    05 अगस्त 2018
    dil ko chhune wali nahi balki dil ke par ho jane wali and very nice story
  • author
    सोमेश कुमार
    07 जून 2018
    मार्मिक कथा जिसमे संभावनाए बहुत थीं पर विवरणात्मक की अधिकता के कारण प्रभाव नहीं छोड़ सकी . शायद ये कहानी घटनाओं और वार्तालापों के सम्मिश्रण से अधिक प्रभावी बनाई जा सकती है .