pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

बलात्कारी शादियां

4.4
29322

आज वक़्त बदल चुका है, हम किसी को फोन करें तो एक सवाल और पूछने लगे है , 'कहां हो आप?' क्यूंकि पहले की तरह घर के किसी कोने में फिक्स लैंड लाइन कनेक्शन नहीं होते , बल्कि जगह- जगह घूमते फिरते मोबाइल ...

अभी पढ़ें

Hurray!
Pratilipi has launched iOS App

Become the first few to get the App.

Download App
ios
लेखक के बारे में
author
अजितेश आर्य

स्कूल में कहा प्यार कॉलेज में होता है , कॉलेज ने कहा कैरियर के बाद होता है , कैरियर के बाद तो शादी होती है जनाब, प्यार तो असल में बेवक्त होता है, बेवजह होता है और बेइन्हता होता है।

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Dani Israr "दानि"
    02 अप्रैल 2019
    मैं इसी मोड़ पर हूँ आज। मेरे साथ भी यही होने जा रहा है। मेरी मुहब्बत की शादी कहीं और हो गई है परसों उनकी माँ बाप की ज़िद्द की वजह से...मेरी भी कहीं और बात चल रही है...माँ-बाप समझते क्यों नहीं हैं कि जो ख़ुशी हमें दिख रही है वो असल में बच्चों की ख़ुशी नहीं है...उनके लिए एक अज़ीयत है ज़िन्दगी भर के लिए। समाज 2 लोगों को खुश नहीं देख सकता इसलिए चार लोगों की ज़िन्दगी आसानी से बर्बाद कर दी जाती है😊 वाह रे समाज के चार लोगों...😊
  • author
    Mrinalini Dubey
    16 मई 2019
    समाज के चार लोगो को तो खूब कहा जा रहा । सही भी है।पर इस कहानी में जीतू और नीति दोनों ही इतने निर्दोष नही लगे मुझे दरअसल वो खुद भी एक पल को फायदा नुकसान सोचकर नापतोल कर या आकर्षण में एक दूसरे से शादी करना चाहते थे। स्वार्थपरक प्रेम की और शादी के समझौते की आज कल के प्रैक्टिकल लोगो का बढ़िया और सत्य चित्रण है
  • author
    Ashish Dashore
    30 मार्च 2019
    ये हमारे समाज की एक कड़वी सच्चाई है जिसका सभी लोग अपने अपने स्वार्थ के लिए उपयोग करते है|
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Dani Israr "दानि"
    02 अप्रैल 2019
    मैं इसी मोड़ पर हूँ आज। मेरे साथ भी यही होने जा रहा है। मेरी मुहब्बत की शादी कहीं और हो गई है परसों उनकी माँ बाप की ज़िद्द की वजह से...मेरी भी कहीं और बात चल रही है...माँ-बाप समझते क्यों नहीं हैं कि जो ख़ुशी हमें दिख रही है वो असल में बच्चों की ख़ुशी नहीं है...उनके लिए एक अज़ीयत है ज़िन्दगी भर के लिए। समाज 2 लोगों को खुश नहीं देख सकता इसलिए चार लोगों की ज़िन्दगी आसानी से बर्बाद कर दी जाती है😊 वाह रे समाज के चार लोगों...😊
  • author
    Mrinalini Dubey
    16 मई 2019
    समाज के चार लोगो को तो खूब कहा जा रहा । सही भी है।पर इस कहानी में जीतू और नीति दोनों ही इतने निर्दोष नही लगे मुझे दरअसल वो खुद भी एक पल को फायदा नुकसान सोचकर नापतोल कर या आकर्षण में एक दूसरे से शादी करना चाहते थे। स्वार्थपरक प्रेम की और शादी के समझौते की आज कल के प्रैक्टिकल लोगो का बढ़िया और सत्य चित्रण है
  • author
    Ashish Dashore
    30 मार्च 2019
    ये हमारे समाज की एक कड़वी सच्चाई है जिसका सभी लोग अपने अपने स्वार्थ के लिए उपयोग करते है|