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बबली

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4.5

आज फिर एक बार कलम उठा ली है,एक लंबे अरसे   से दिमाग में उलझन चल रही है जब भी फुर्सत में होती हूं  तो तो बबली की बाते दिमाग में घूमने लगती हैं,पता नहीं कैसी होगी,होगी भी या नहीं,कितने दिन हो गए, अब ...