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बड़ी उंगलियाँ, छोटी उंगलियाँ #ओवुमनिया

4.7
367

माँ, वक़्त की सरपट चाल में मेरी उंगलियाँ जवान हो गईं और तुम्हारी बूढ़ी-सी जिनपर वक़्त के बेरहम घावों के पड़े हैं भद्दे निशान

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लेखक के बारे में

स्वतंत्र लेखन , 'इस जनम की बिटिया' एवं 'टुकड़ा टुकड़ा इश्क़ और युद्ध' दो काव्य संग्रह प्रकाशित। कविताएं हंस, कथादेश, कादम्बिनी, आजकल, इंद्रप्रस्थ भारती आदि पत्रिकाओं में प्रकाशित, पूर्व में न्यूज़ रीडर (आकाशवाणी दिल्ली) फेसबुक पेज https://www.facebook.com/jyotsna.15/ पर सक्रिय यू ट्यूब चैनल पर कविताएं : https://www.youtube.com/channel/UCwKPATswcN0gfHAa0LYaxyg कहानी लेखन भी ।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    13 मार्च 2019
    सुंदर
  • author
    14 मार्च 2019
    मां और बच्चे का रिश्ता और बच्चे और मां का रिश्ता प्राय: एक सा नहीं होता। मां हमें सींच कर बड़ा करती है और जब हमारी बारी आती है तो हम जीवन की व्यस्तताओं का हवाला देने लगते हैं। हमारी अंगुलियों ने महसूस करना छोड़ दिया है... बहुत ही भावनात्मक अभिव्यक्ति। अंगुलियों की बात हृदय तक पहुंचती है। पुरस्कार के लिए बहुत-बहुत बधाई।
  • author
    Prabha Narain
    05 जून 2020
    मां मां होती हैं। मां की तुलना किसी से नहीं की जा सकती । बहुत बढ़िया।
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    13 मार्च 2019
    सुंदर
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    14 मार्च 2019
    मां और बच्चे का रिश्ता और बच्चे और मां का रिश्ता प्राय: एक सा नहीं होता। मां हमें सींच कर बड़ा करती है और जब हमारी बारी आती है तो हम जीवन की व्यस्तताओं का हवाला देने लगते हैं। हमारी अंगुलियों ने महसूस करना छोड़ दिया है... बहुत ही भावनात्मक अभिव्यक्ति। अंगुलियों की बात हृदय तक पहुंचती है। पुरस्कार के लिए बहुत-बहुत बधाई।
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    Prabha Narain
    05 जून 2020
    मां मां होती हैं। मां की तुलना किसी से नहीं की जा सकती । बहुत बढ़िया।