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बचपन की बारिश और कागज़ की नाव

4.8
37

श्याम वर्ण मेघों का आसमान पर आच्छादित हो, गर्जन करते हुए झमाझम निरंतर वेग से गिरना मानों ऐसा लगता कि स्वर्ग की अप्सरा ने, इंद्र की सभा को सम्मोहित कर वाध यंत्र रूपी गर्जना और घुंघरू रूपी मेघों की ...

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लेखक के बारे में
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Bhavna Mukund

मैं, पेशे से प्रशिक्षित, अनुभवी, मनोवैज्ञानिक (क्लीनिकल साइकोलोजिस्ट) एवं दिल्ली विश्वविद्यालय से मनोविज्ञान में पीएचडी की शोधार्थी हूँ। सहित्यिक अभिरुचि के इतर मैं, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डी.आर. डी.ओ), भारतीय वायुसेना, एमिटी विश्वविद्यालय में बतौर मनोवैज्ञानिक, शोधार्थी एवं सहायक प्रोफेसर पद पर कार्यभार वहन कर चुकी हूँ। हिन्दी साहित्य में मेरी गहन रुचि मेरे विद्यार्थी जीवन से रही है।हिंदी साहित्य, ज्ञान का अद्वितीय विशाल सागर है,जिनमें कुछ बूँदे, मैं समर्पित करने की छोटी सी कोशिश, प्रतिलिपि के माध्यम से कर रहीं हूँ। इसी आशा से,सभी पाठकों, लेखकों एवं प्रतिलिपि को मेरा सादर अभिवादन। भावना मुकुन्द संपर्क करें: [email protected]

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    RaDhA
    07 अगस्त 2020
    very nice. :)
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    RaDhA
    07 अगस्त 2020
    very nice. :)