फेसबुक की दुनिया कुमार दुर्गेश "विक्षिप्त" उस देर रात की बात, ना था, कोई मेरे साथ, (सिर्फ मोबाइल था मेरे हाथ) मैंनें जैसे ही चालू किया फोन, वो मिल गई फेसबुक चेट ऑन, अँजुरी कॉप रही थी, मेरा लिखा जो वो ...
फेसबुक की दुनिया कुमार दुर्गेश "विक्षिप्त" उस देर रात की बात, ना था, कोई मेरे साथ, (सिर्फ मोबाइल था मेरे हाथ) मैंनें जैसे ही चालू किया फोन, वो मिल गई फेसबुक चेट ऑन, अँजुरी कॉप रही थी, मेरा लिखा जो वो ...