कवि बदल रहे साल की आखिरी शाम में अपनी नायिका की समानताएं खोज रहा है। वह चाहता है कि प्रेमिका उसके साथ कुछ समय बिता ले, लेकिन प्रेमिका रुक जाने में असमर्थ है। तब कवि कहता है कि तुम समय हो जो ...
'तुम तय करने निकली हो ,सेकंड से मिनट की दूरी .....मैं अरमानों का दिसंबर पीछे रह जाऊंगा'।सही है'फिसलता जाता समय' कब पकड़ में आता है।बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति।बधाई।
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'तुम तय करने निकली हो ,सेकंड से मिनट की दूरी .....मैं अरमानों का दिसंबर पीछे रह जाऊंगा'।सही है'फिसलता जाता समय' कब पकड़ में आता है।बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति।बधाई।
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