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'फिर कब मिलोगी'

4.2
19267

रेशमा के ऑफिस के नीचे उसे उतार कर मशाल ने बाइक स्टार्ट करते हुये पूछा -फिर कब मिलोगी एक घरघराता आवाज सुनाई दिया 'बहुत जल्द' अचानक मशाल मुड़ कर रेशमा के तरफ देखा और वह............!!

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लेखक के बारे में

ना शोहरतों की ख्वाहिशें ना नफरतों की गुंजाइशें ना कोई गिला हैं ना कोई शिकवा बस जिंदगी तुझे जीने की आरज़ू है।

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    ANUPMA TIWARI
    20 অক্টোবর 2019
    अच्छा सबक मिला। जो भी अपनी बेटियों के साथ ऐसा करते हैं उनके साथ भी ऐसा ही होना चाहिये। दिन का चेन रातो की नींद। सब गायब।
  • author
    कहानी Café
    13 জুন 2017
    What's this?
  • author
    Falguni Doshi
    25 জুলাই 2019
    यही story ki भूत प्रेत वाला रूप न देकर और अच्छे से लिखती तो और मजा आता । थीम बहुत बढ़िया था ।
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    ANUPMA TIWARI
    20 অক্টোবর 2019
    अच्छा सबक मिला। जो भी अपनी बेटियों के साथ ऐसा करते हैं उनके साथ भी ऐसा ही होना चाहिये। दिन का चेन रातो की नींद। सब गायब।
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    कहानी Café
    13 জুন 2017
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    Falguni Doshi
    25 জুলাই 2019
    यही story ki भूत प्रेत वाला रूप न देकर और अच्छे से लिखती तो और मजा आता । थीम बहुत बढ़िया था ।