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प्रेरणा

4.5
29913

मैं छत से नीचे आया और बोला मां सामान पैक हो गया है। मां ने कहा,-“ विनय बेटा सब रख दिया है। तुम्हारे कपड़े, रोजमर्रा की चीजें ,घी अचार”। मैं बोला,-“ अरे मां तुम ने घी, अचार यह सब क्यों पैक कर दिया”। ...

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लेखक के बारे में
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अमित पाण्डेय

निवासी:आजमगढ़(उत्तर प्रदेश)

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    माला झा
    27 जुन 2018
    कहानी अच्छी लगी। लेकिन लेखक द्वारा कभी " विनय " और कभी " मैं " का प्रयोग खटकता है। या तो इस कथा को आत्मकथात्मक शैली में लिखा जाता या फिर पूर्ण रूप से लेखक के उपस्थिति के बगैर ! यहां दोनो का मिश्रण हो गया है। इस त्रुटि पर कृपया ध्यान दें।सादर।
  • author
    Kalpalata Verma
    30 जुन 2018
    आज की जिन्दगी का सच, पर ऐसे में मां बाप कि जिम्मेदारी बनती है कि वे बच्चों को सम्बल दें और आगे बढ़ने की प्रेरणा दे। जैसे विनय के पिता ने दिया। बहरहाल एक अच्छी तारतम्यता है कहानी में
  • author
    Sarvesh Dubey
    25 जुन 2020
    Very nice story.
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    माला झा
    27 जुन 2018
    कहानी अच्छी लगी। लेकिन लेखक द्वारा कभी " विनय " और कभी " मैं " का प्रयोग खटकता है। या तो इस कथा को आत्मकथात्मक शैली में लिखा जाता या फिर पूर्ण रूप से लेखक के उपस्थिति के बगैर ! यहां दोनो का मिश्रण हो गया है। इस त्रुटि पर कृपया ध्यान दें।सादर।
  • author
    Kalpalata Verma
    30 जुन 2018
    आज की जिन्दगी का सच, पर ऐसे में मां बाप कि जिम्मेदारी बनती है कि वे बच्चों को सम्बल दें और आगे बढ़ने की प्रेरणा दे। जैसे विनय के पिता ने दिया। बहरहाल एक अच्छी तारतम्यता है कहानी में
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    Sarvesh Dubey
    25 जुन 2020
    Very nice story.