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प्रेम परीक्षा

4.6
10871

फ़िरोज़ तुम सुन रहे हो न... मेरी जान निकली जा रही है, । तुम्हे या तुम्हारे परिवार को मैं स्वीकार तो होऊँगी...??? कैसे रिएक्ट करेंगे वो सब मुझे देखकर ।देखो मैं जैसी हूँ वैसी ही रहूँगी.... प्रेम में ...

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लेखक के बारे में

मैं कॉपी नही कर सकती भावनाओं की, बस शब्द लिख सकती हूँ अहसास में गुंथे। कहानी मेरी ही आवाज़ में सुनने के लिए मेरा चैंनल भी सब्सक्राइब कर सकते हैं ।नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।https://youtube.com/channel/UCeH2kaD0bXs4Vf5Ksw_dI5A

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Arun Kumar Manglam
    26 जून 2019
    इतिहास साक्षी है कि प्रेम की परीक्षा आदि काल से होती आयी है। इसके लिए कई धार्मिक एवं अन्य ग्रंथ उपलब्ध हैं जिसमें इसका विस्तृत विवरण देखा जा सकता है। आपने दो धर्मों जिनके बीच एक कथित दीवार धर्म के ठेकेदारों ने बना दिया है उसका उदाहरण संदर्भ के साथ रखा है यह काबीले तारीफ है। मानवता का धर्म ही सर्वोपरि है आपकी कहानी अपने पात्रों के माध्‍यम से इसे साबित करती है। धन्यवाद।
  • author
    24 जून 2019
    अच्छा प्रयास है।लोगों को उनकी सोच के दायरे से बाहर निकाल कर इंसानियत प्रेम त्याग का अच्छा पाठ पढ़ाया है आपने।वक़्त की जरूरत के अनुसार इंसानों को खुद में बदलाव कर ही लेने चाहिए।प्रकाशवान रचना।बधाई हो, धन्यवाद,,🙏
  • author
    Renu Kakkar
    07 जनवरी 2020
    बहुत ही सुंदर कहानी है हिंदू मुस्लिम ना दिखाते हुए इंसानियत का परिचय दिया है जो कि सब में होना चाहिए क्योंकि हिंदू मुस्लिम तो सिर्फ जन्म से हो जाते हैं वरना हम सब तो एक ही परमात्मा की संतान है इतिहास गवाह है इस प्रकार की घटनाओं का जिसमें कितने ही मुस्लिमों ने हिंदुओं की रक्षा की है
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    Arun Kumar Manglam
    26 जून 2019
    इतिहास साक्षी है कि प्रेम की परीक्षा आदि काल से होती आयी है। इसके लिए कई धार्मिक एवं अन्य ग्रंथ उपलब्ध हैं जिसमें इसका विस्तृत विवरण देखा जा सकता है। आपने दो धर्मों जिनके बीच एक कथित दीवार धर्म के ठेकेदारों ने बना दिया है उसका उदाहरण संदर्भ के साथ रखा है यह काबीले तारीफ है। मानवता का धर्म ही सर्वोपरि है आपकी कहानी अपने पात्रों के माध्‍यम से इसे साबित करती है। धन्यवाद।
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    24 जून 2019
    अच्छा प्रयास है।लोगों को उनकी सोच के दायरे से बाहर निकाल कर इंसानियत प्रेम त्याग का अच्छा पाठ पढ़ाया है आपने।वक़्त की जरूरत के अनुसार इंसानों को खुद में बदलाव कर ही लेने चाहिए।प्रकाशवान रचना।बधाई हो, धन्यवाद,,🙏
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    Renu Kakkar
    07 जनवरी 2020
    बहुत ही सुंदर कहानी है हिंदू मुस्लिम ना दिखाते हुए इंसानियत का परिचय दिया है जो कि सब में होना चाहिए क्योंकि हिंदू मुस्लिम तो सिर्फ जन्म से हो जाते हैं वरना हम सब तो एक ही परमात्मा की संतान है इतिहास गवाह है इस प्रकार की घटनाओं का जिसमें कितने ही मुस्लिमों ने हिंदुओं की रक्षा की है