!! पितृ छाया !! श्याम मोहन जी बेचैनी से कमरे में तेजचाल से इधर से उधर टहल रहे थे। थक जाते तो कुर्सी पर जा बैठते। चैन न पाकर फिर टहलने लगते। उनके चेहरे की भाव भंगिमा ...
पिता, होता ही ऐसा व्यक्तित्व की जितना ऊपर से कठोर, उतना ही अंदर से बेटी लिए नाजुक। बहुत ही अच्छा सामंजस्य गुस्सा भी,और दिल की गहराई से अतुल्य प्यार, ।👍👍👌👌👍👍👌👌
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पिता, होता ही ऐसा व्यक्तित्व की जितना ऊपर से कठोर, उतना ही अंदर से बेटी लिए नाजुक। बहुत ही अच्छा सामंजस्य गुस्सा भी,और दिल की गहराई से अतुल्य प्यार, ।👍👍👌👌👍👍👌👌
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