pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

!! पितृ छाया!!

4.9
132

!!  पितृ छाया !!                   श्याम मोहन जी बेचैनी से कमरे में तेजचाल से इधर से उधर टहल रहे थे। थक जाते तो कुर्सी पर जा बैठते।          चैन न पाकर फिर टहलने लगते। उनके चेहरे की भाव भंगिमा ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
author
Tara Gupta

000 too.

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    साधना मिश्रा,..
    02 সেপ্টেম্বর 2020
    पिता, होता ही ऐसा व्यक्तित्व की जितना ऊपर से कठोर, उतना ही अंदर से बेटी लिए नाजुक। बहुत ही अच्छा सामंजस्य गुस्सा भी,और दिल की गहराई से अतुल्य प्यार, ।👍👍👌👌👍👍👌👌
  • author
    सरोज वर्मा "कमल"
    30 অগাস্ট 2020
    जी,बिलकुल सकारात्मक सोच ही हमें आगें बढ़ने मे मदद करती है और बुजुर्गों का आशीर्वाद ही हमारी प्रेरणा बनता है🌹🌹💐💐🙏🙏
  • author
    Beena Pandey
    30 অগাস্ট 2020
    आज की नारी आत्मनिर्भर है और आत्मसम्मान के लिए जागरूक है।आपने अपने लेख में बखूबी दर्शाया है ।
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    साधना मिश्रा,..
    02 সেপ্টেম্বর 2020
    पिता, होता ही ऐसा व्यक्तित्व की जितना ऊपर से कठोर, उतना ही अंदर से बेटी लिए नाजुक। बहुत ही अच्छा सामंजस्य गुस्सा भी,और दिल की गहराई से अतुल्य प्यार, ।👍👍👌👌👍👍👌👌
  • author
    सरोज वर्मा "कमल"
    30 অগাস্ট 2020
    जी,बिलकुल सकारात्मक सोच ही हमें आगें बढ़ने मे मदद करती है और बुजुर्गों का आशीर्वाद ही हमारी प्रेरणा बनता है🌹🌹💐💐🙏🙏
  • author
    Beena Pandey
    30 অগাস্ট 2020
    आज की नारी आत्मनिर्भर है और आत्मसम्मान के लिए जागरूक है।आपने अपने लेख में बखूबी दर्शाया है ।