आज उसके उल्लास का कोई ठिकाना नहीं था।बड़की ठकुराईन ने कल ही पूरे महीने की पगार दे दी।देते समय पाँच सौ का एक नोट भी जबर्दस्ती रख दिया" कमलिया की माय हमसे पर्दा रख कर क्या करोगी।तुम्हारी कौन सी मजबूरी ...
जिंदगी एक किताब की तरह है, जिसके अंतिम पन्ने को विधाता ने लिख कर भेजा है, बाकी के पन्नों पर शब्द खुद ही उकेरने होते हैं।उन शब्दों को उकेरने का प्रयास सतत करना चाहिए।
सारांश
जिंदगी एक किताब की तरह है, जिसके अंतिम पन्ने को विधाता ने लिख कर भेजा है, बाकी के पन्नों पर शब्द खुद ही उकेरने होते हैं।उन शब्दों को उकेरने का प्रयास सतत करना चाहिए।
रिपोर्ट की समस्या
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