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पापा के मौजे

4.6
30155

एक प्यार की डोर ही तो होती है, जिसमे परिवार के सभी सदस्य बंधे होते है| इस कहानी में आपको, परिवार रुपी एक काल्पनिक सफर करने को मिलेगा| आशा है आपको पसंद आएगी| कोई सुझाव हो तो जरूर बताईयेगा|

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लेखक के बारे में
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चेतन लोधी

खुशमिजाज बालक। घूमने का शौकीन हूँ। देवभूमि उत्तराखंड का निवासी हूँ। कहने को तो पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर हूँ, मगर लिखने में ही आत्म शांन्ति मिलती है। ऑफिस के बाद जब दिमाग आँखे मूँद लेता है तो दिल अपने ख्याली जज़्बातों के मोतियों को, कहानी के धागे में पिरोने लगता है।

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Suman Singh
    06 एप्रिल 2019
    यह कहानी दिल छुती है आज के समय में मां बाप का ऐसा सोचना गलत नहीं है मुझे आप की कहानी बहुत पसंद आई है आशा करती हू आप आगे भी इस तरह की सामाजिक कथा लिखते रहेगें
  • author
    Puja Fartiyal
    24 मे 2017
    अल्फ़ाज़ों का सागर है तेरे भीतर चेतन , अब तो जरिया भी मिल गया है सैलाब लाने का | बहुत खूब चेट्टु ||
  • author
    शिव पाण्डेय
    28 मे 2017
    समय को जो याद रक्खेगा वह कभी नही भटकता ।अच्छीऔर प्रेरक कहानी के लिए धन्यवाद ।
  • author
    आपकी रेटिंग

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  • author
    Suman Singh
    06 एप्रिल 2019
    यह कहानी दिल छुती है आज के समय में मां बाप का ऐसा सोचना गलत नहीं है मुझे आप की कहानी बहुत पसंद आई है आशा करती हू आप आगे भी इस तरह की सामाजिक कथा लिखते रहेगें
  • author
    Puja Fartiyal
    24 मे 2017
    अल्फ़ाज़ों का सागर है तेरे भीतर चेतन , अब तो जरिया भी मिल गया है सैलाब लाने का | बहुत खूब चेट्टु ||
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    शिव पाण्डेय
    28 मे 2017
    समय को जो याद रक्खेगा वह कभी नही भटकता ।अच्छीऔर प्रेरक कहानी के लिए धन्यवाद ।