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परछाई पीछा नहीं छोडती

4.4
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नायक नायिका का प्रेम कुछ इस तरह का है कि नायक नायिका की यादों में खोया रहता है.. नायिका के साथ यादों में ही कितनी जद्दोजहद करता है.. नायिका विवाह भी करती है तो ऐसे युवक से जो सुहागरात की सेज पर ...

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लेखक के बारे में
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सन्दीप तोमर

परिचय संदीप तोमर का जन्म ७ जून १९७५ को उत्तर प्रदेश के जिला मुज़फ्फरनगर के गंगधाड़ी नामक गॉंव में हुआ। आपके पिता एक आदर्श अध्यापक रहे तो माताजी एक धर्म परायण स्त्री हैं। दोनो का ही प्रभाव आपके जीवन पर बराबर रहा है। चार भाई बहनों में सबसे छोटे सन्दीप तोमर ने शारीरिक अक्षमता के चलते सीधे पांचवी कक्षा में प्रवेश लिया और प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण हुए। तत्पश्चात विज्ञान विषयों से स्नातक करके प्राथमिक शिक्षक के लिए दो वर्ष का प्रशिक्षण लिया। उत्तर प्रदेश में कुछ दिन अध्यापन करने के बाद नॉकरी छोड़ दिल्ली विश्वविद्यालय पढ़ने आ गए। बी.एड, एम.एड के बाद एम्.एस सी(गणित) एम् ए (समाजशास्त्र व भूगोल) एम फिल(शिक्षाशास्त्र) की शिक्षा ग्रहण की। दिल्ली विश्विद्यालय में पढ़ते हुए ही साहित्य का स्वाध्याय करते हुए लेखन में रुचि उत्पन्न हुई। उन्होंने कविता, कहानी, लघुकथा, आलोचना, नज़्म, ग़ज़ल के साथ साथ उपन्यास को अपनी विधा बनाया। पेशे से अध्यापक सन्दीप तोमर का पहला कविता संग्रह "सच के आस पास" 2003 में प्रकाशित हुआ।उसके बाद एक कहानी सँग्रह "टुकड़ा टुकड़ा परछाई" 2005 में आया। शिक्षा और समाज(लेखों का संकलन शोध-प्रबंध) का प्रकाशन वर्ष 2010 था। इसी बीच लघुकथा सँग्रह "कामरेड संजय" 2011 में प्रकाशित हुआ। "महक अभी बाकी है" नाम से कविता संकलन का संपादन भी किया। 2017 में प्रकाशित "थ्री गर्ल्सफ्रेंड्स" उपन्यास ने संदीप तोमर को चर्चित उपन्यासकार के रूप में स्थापित कर दिया। 2018 में आपकी आत्मकथा "एक अपाहिज की डायरी" का विमोचन नेपाल की धरती पर हुआ। वे प्रारंभ, मुक्ति, प्रिय मित्र अनवरत अविराम इत्यादि साझा संकलन में बतौर कवि सम्मलित हो चुके हैं। सृजन व नई जंग त्रैमासिक पत्रिकाओं में बतौर सह-संपादक सहयोग करते रहे। फिलहाल उनकी कई पुस्तकें प्रकाशन हेतु प्रकाशकों के पास गई है। जिनमे "परत दर परत" लघुकथा सँग्रह, "ये कैसा प्रायश्चित" तथा "दीपशिखा" उपन्यास के साथ "यंगर्स लव" कहानी संग्रह और "परमज्योति" कविता सँग्रह प्रमुख हैं। हिन्दी अकादमी दिल्ली द्वारा निबन्ध व कविता लेखन के लिए, "सच के आस पास" काव्य कृति के लिये "तुलसी स्मृति सम्मान" काव्य लेखन के लिए "युवा राष्ट्रीय प्रतिभा" सम्मान, साहित्यिक सांस्कृतिक कला संगम अकादमी द्वारा "साहित्य श्री" सम्मान, अजय प्रकाशन रामनगर वर्धा (महा.) द्वारा "साहित्य सृजन" सम्मान, मानव मैत्री मंच द्वारा काव्य लेखन के लिए सम्मान, सहित कई बड़ी संस्थाओं द्वारा समय- समय पर आपको सम्मानित किया गया है 2011-12 में स्कूल स्तर पर तत्कालीन विधायक के हाथों बेस्ट टीचर आवर्ड से सम्मानित। 2012 में प्राइवेट और सरकारी अध्यापक संघ के तत्वाधान में तत्कालीन संसदीय मन्त्री हरीश रावत के कर कमलों से दिल्ली के बेस्ट टीचर के लिए सम्मानित हो चुके हैं। भारतीय समता समाज की ओर से आपको समता अवार्ड 2017 से सम्मानित किया गया। आपको 2018 में कथा गौरव सम्मान से नवाजा गया। साथ ही 2018 में ही नव सृजन संस्था द्वारा हिन्दी रत्न सम्मान दिया गया।

समीक्षा
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    20 जून 2019
    आपकी रचना ने मुझे पात्रा में अर्न्तनिहित कर लिया इतना सजीव चित्रण मैं भावविभोर हो उठी हूँ ၊ कालान्तर मन में कौतुहल सा जगाता है ၊ सुन्दर सजीव शब्दो की सजावट है ၊
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    Deepti gupta
    20 जून 2019
    सम्वेदनाओं के धनी सन्दीप जी की यह कहानी प्रारम्भ से अन्त तक मेरे मन को अपनी भाषा, शैली और कथाशिल्प के जादू से बाँधे रही । नायक की क़तरा-क़तरा पीड़ा, उसका टूट कर अपनी प्रेयसी को, उसकी हर बात को याद करना मन को तर करता गया । नायिका भी शिद्दत और संजीदगी से नायक के प्रेम में सरापा डूबी हुई है । तसव्वुर में दोनों एक दूसरे से कितना प्यार, कितना दुलार, कितने आँसूँ, कितनी मुस्कान बाँटते हैं , पर फिर भी उनका अन्तस आधा भरा और आधा खाली रहता है क्योंकि गहरे प्रेम का तल.कभी पूरा नही भरता ।उसमें प्यार के न जाने कितने दरिया समा जाने की अपरिमित सशक्त ज़मीन होती है जो प्यार को परत दर परत समोए जाती है । पाठक मन को अपने साथ बहा ले जाने वाली, पाक़ मुहब्बत के निर्झर सी बहती इस कहानी की जितनी भी सराहना की जाए कम है ।
  • author
    22 जून 2019
    प्रेम एक जुनून है, एक तूफ़ानी अहसास जिसको थामना या ना थामना किसी के ख़ुद के वश में नहीं होता। परंतु एक लेखक के हाथ में यह कला होती है और संदीप भाई में यह कला बख़ूबी है। उन्होंने प्रेम के उस स्वरूप को अपनी कलम के द्वारा उकेरा है जो चेतन-अवचेतन सभी स्तरों पर एक व्यक्तित्व को जकड़ लेता हैं ।उनकी कहानी प्रारम्भ से अंत तक पढ़े बिना चैन नहीं लेने देती ! एक मनोवैज्ञानिक आयाम लिए सुंदर कहानी । उन्हें अग्रिम बधाई !
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    20 जून 2019
    आपकी रचना ने मुझे पात्रा में अर्न्तनिहित कर लिया इतना सजीव चित्रण मैं भावविभोर हो उठी हूँ ၊ कालान्तर मन में कौतुहल सा जगाता है ၊ सुन्दर सजीव शब्दो की सजावट है ၊
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    Deepti gupta
    20 जून 2019
    सम्वेदनाओं के धनी सन्दीप जी की यह कहानी प्रारम्भ से अन्त तक मेरे मन को अपनी भाषा, शैली और कथाशिल्प के जादू से बाँधे रही । नायक की क़तरा-क़तरा पीड़ा, उसका टूट कर अपनी प्रेयसी को, उसकी हर बात को याद करना मन को तर करता गया । नायिका भी शिद्दत और संजीदगी से नायक के प्रेम में सरापा डूबी हुई है । तसव्वुर में दोनों एक दूसरे से कितना प्यार, कितना दुलार, कितने आँसूँ, कितनी मुस्कान बाँटते हैं , पर फिर भी उनका अन्तस आधा भरा और आधा खाली रहता है क्योंकि गहरे प्रेम का तल.कभी पूरा नही भरता ।उसमें प्यार के न जाने कितने दरिया समा जाने की अपरिमित सशक्त ज़मीन होती है जो प्यार को परत दर परत समोए जाती है । पाठक मन को अपने साथ बहा ले जाने वाली, पाक़ मुहब्बत के निर्झर सी बहती इस कहानी की जितनी भी सराहना की जाए कम है ।
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    22 जून 2019
    प्रेम एक जुनून है, एक तूफ़ानी अहसास जिसको थामना या ना थामना किसी के ख़ुद के वश में नहीं होता। परंतु एक लेखक के हाथ में यह कला होती है और संदीप भाई में यह कला बख़ूबी है। उन्होंने प्रेम के उस स्वरूप को अपनी कलम के द्वारा उकेरा है जो चेतन-अवचेतन सभी स्तरों पर एक व्यक्तित्व को जकड़ लेता हैं ।उनकी कहानी प्रारम्भ से अंत तक पढ़े बिना चैन नहीं लेने देती ! एक मनोवैज्ञानिक आयाम लिए सुंदर कहानी । उन्हें अग्रिम बधाई !