दसवीं की परीक्षा के बाद जब मै अपनी नानी के घर गयी, देखा कि बचपन के स्वर्णिम युग का स्वर्ग अब कैदखाना बन गया है. प्यार छिड़कने वाली नानी अब बस टोकती रहती. ये न करो ,वहां न जाओ, ऐसे न बैठो, द्वार ...
दसवीं की परीक्षा के बाद जब मै अपनी नानी के घर गयी, देखा कि बचपन के स्वर्णिम युग का स्वर्ग अब कैदखाना बन गया है. प्यार छिड़कने वाली नानी अब बस टोकती रहती. ये न करो ,वहां न जाओ, ऐसे न बैठो, द्वार ...