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देश की धरती किसान को निगले

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"सुनो जी तुमसे कब से कह रही हूँ छह महीने बाद बिटिया की शादी है अभी से पैसे का इंतज़ाम करना क्यों नही शुरू कर देते हो।" कलावती ने अपने पति को फिर से उसी बात को याद दिलाया जो बात वो रोज़ाना उसे याद ...

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लेखक के बारे में
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Twinkle Tomar Singh

शिक्षिका, लेखिका, ब्लॉगर जन्म- तीर्थराज प्रयागराज। शिक्षा- परास्नातक अंग्रेजी साहित्य, राजनीति शास्त्र शिक्षा स्नातक में डिग्री प्रयाग संगीत समिति, प्रयागराज से संगीत गायन की शिक्षा। पद- लखनऊ में अँग्रेजी विषय में शिक्षिका के पद पर कार्यरत सहित्यिक यात्रा- तीन साझा कहानी संकलन 'इंद्रधनुष' व 'गुंजित मौन' व 'कथाकार'। दो उपन्यासिका 'कहीं कबाड़ कहीं क़ीमती' व 'चंद्रमल्लिका'। लेख,कहानियाँ व कविताएँ लोकप्रिय वेब साइट्स व पत्र-पत्रिकाओं जैसे दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर, अमर उजाला, जनसत्ता, राजस्थान पत्रिका, सरिता मैगजीन आदि में प्रकाशित। अँग्रेज़ी साहित्य लेखन पर अच्छी पकड़। कई पुस्तकों का अँग्रेजी से हिन्दी में अनुवाद।

समीक्षा
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  • author
    Sonnu Lamba
    25 ఆగస్టు 2019
    ये बहुत ही दुखद है...और.ऐसा होता भी है...लेकिन मैं हमेशा चाहती हूं मेरे देश का किसान ऐसे बेमौत ना मरें....कभी भी नही..।
  • author
    sher singh rana
    05 సెప్టెంబరు 2019
    आपकी कहानी किसान की वास्तविक परिस्थितियो से परिचित कराती है कैसे एक किसान इस राष्ट्र का अन्नदाता होने के बाद भी जिसे वह अन्न देता है उन्ही द्वारा शोषित होता है वह सम्पूर्ण देश को पोषित करता है लेकिन वह सभी द्वारा शोषित होता है फिर चाहे वह साहूकार हो, कर्मचारी वर्ग हो, हमारी सरकार हो यहाँ तक हमारा स्वयं का समाज भी किसान को गिरी दृष्टि से देखता है
  • author
    Namrata Pandey
    30 ఆగస్టు 2019
    बेहद मार्मिक रचना। पुरस्कार प्राप्ति की बहुत-बहुत शुभकामनाएं💐
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    Sonnu Lamba
    25 ఆగస్టు 2019
    ये बहुत ही दुखद है...और.ऐसा होता भी है...लेकिन मैं हमेशा चाहती हूं मेरे देश का किसान ऐसे बेमौत ना मरें....कभी भी नही..।
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    sher singh rana
    05 సెప్టెంబరు 2019
    आपकी कहानी किसान की वास्तविक परिस्थितियो से परिचित कराती है कैसे एक किसान इस राष्ट्र का अन्नदाता होने के बाद भी जिसे वह अन्न देता है उन्ही द्वारा शोषित होता है वह सम्पूर्ण देश को पोषित करता है लेकिन वह सभी द्वारा शोषित होता है फिर चाहे वह साहूकार हो, कर्मचारी वर्ग हो, हमारी सरकार हो यहाँ तक हमारा स्वयं का समाज भी किसान को गिरी दृष्टि से देखता है
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    Namrata Pandey
    30 ఆగస్టు 2019
    बेहद मार्मिक रचना। पुरस्कार प्राप्ति की बहुत-बहुत शुभकामनाएं💐