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देवी हूँ मैं #ओ वुमनिया

4.8
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देवी हूंँ मैं, सरस्वती, लक्ष्मी, दुर्गा, काली और चंडी हूं मैं , पूजी जाती मंदिर मंदिर, सृष्टि की आधार हूंँ मैं। परंतु, जब मैं आई तेरे धाम, बनकर तेरी ही प्रतिकृती, तब मन में भरकर अमर्ष, तूने किया ...

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लेखक के बारे में
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Vandana Kashyap
समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    यतेंद्र सांखला
    17 मार्च 2019
    वास्तविक सत्य ही है कि अगर पूरे ब्रह्मांड की रचना का विस्तार अगर हुआ है तो वह सर्वप्रथम एक नारी से ही हुआ है आपने अपनी रचना से एक नारी की विशेषताओं को परिभाषित करने का जो प्रयास किया है वह आदरणीय है हम नमन करते हैं आपकी कल्पना को
  • author
    Gyanendra maddheshia Gyani
    26 अप्रैल 2019
    बेहतरीन शब्द और उसका चयन आपकी रचनात्मक क्षमता की पूर्णता को दिखाता है।वाक़ई में आपने नारी की समस्त शक्तियों के साथ उसके ओज को प्रकट किया है.....तारीफ के काबिल है आपकी कविता मैम
  • author
    Ankush jaiswal
    14 मार्च 2019
    सही कहा आपने देवी हैं आप।आपकी कविता बहुत ही सुंदर है शब्द रचना का अदभुत संगम।जो नारियों का सम्मान नही करते वो कही भी सम्मान पाने योग्य नही होते।🙏🙏🙏🙏
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    यतेंद्र सांखला
    17 मार्च 2019
    वास्तविक सत्य ही है कि अगर पूरे ब्रह्मांड की रचना का विस्तार अगर हुआ है तो वह सर्वप्रथम एक नारी से ही हुआ है आपने अपनी रचना से एक नारी की विशेषताओं को परिभाषित करने का जो प्रयास किया है वह आदरणीय है हम नमन करते हैं आपकी कल्पना को
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    Gyanendra maddheshia Gyani
    26 अप्रैल 2019
    बेहतरीन शब्द और उसका चयन आपकी रचनात्मक क्षमता की पूर्णता को दिखाता है।वाक़ई में आपने नारी की समस्त शक्तियों के साथ उसके ओज को प्रकट किया है.....तारीफ के काबिल है आपकी कविता मैम
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    Ankush jaiswal
    14 मार्च 2019
    सही कहा आपने देवी हैं आप।आपकी कविता बहुत ही सुंदर है शब्द रचना का अदभुत संगम।जो नारियों का सम्मान नही करते वो कही भी सम्मान पाने योग्य नही होते।🙏🙏🙏🙏