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दिल की आवाज

4.4
17611

जज के प्रवेश करते ही पूरा सेशन कोर्ट में शांति छा गई. जज ने केस के पन्नो को पलटा. बचाव पक्ष का वकील नही है. अशोक ने कहा मुझे जरूरत नहीं है वकील की. तो क्या आप अपने लिए जिरह खुद करेंगें?

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लेखक के बारे में
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मनीषा गौतम
समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Vrunda H. Goud
    22 जनवरी 2019
    वाकई अकेली महिला को सहारा देने के नाम पर यही मंशा होती है। अकेली मां को इस बात का हमेशा ध्यान रखना चाहिए।
  • author
    Arunima Dinesh Thakur "अनु"
    01 अक्टूबर 2018
    kash , samaj me ese murder allow hote.....
  • author
    Neelam Tyagi
    05 जनवरी 2019
    बहुत अच्छी रचना है अशोक ने बहुत आछा किया
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    Vrunda H. Goud
    22 जनवरी 2019
    वाकई अकेली महिला को सहारा देने के नाम पर यही मंशा होती है। अकेली मां को इस बात का हमेशा ध्यान रखना चाहिए।
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    Arunima Dinesh Thakur "अनु"
    01 अक्टूबर 2018
    kash , samaj me ese murder allow hote.....
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    Neelam Tyagi
    05 जनवरी 2019
    बहुत अच्छी रचना है अशोक ने बहुत आछा किया