pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

दहेज

131
4.6

कोई कुप्रथा कब धीरे धीरे समाज के विभिन्न वर्गों को प्रभावित करते हुए नासूर बन जाती है पता ही नहीं चलता