देखो जी अब हमारी बिटिया बड़ी हो गई है, कितनी सुंदर दिखने लगी है, कल तक जिसकी तोतली आवाज हमको हंसाती थी और मिश्री सी मीठी बोली पर हम फूले नहीं सिहाते थे, आज कैसे शर्माने लगी है। माँ ने अंजली की तरफ ...
उत्कृष्ट रचना विकास जी,समाज का यथार्थ जो हम सब जानते हैं जिसकी बलीवेदी प्रतिदिन कितने ही परिवार चढ़ते हैं लेकिन दहेज रूपी दानव नित नवीन रूप धर लेता है जिसमें लेने वाला ही नहीं अपितु देने वाला भी दिखावे के कारण
इस कुप्रथा क़ो और बल प्रदान करता है।कम शब्दों में समाज का कट्टु सत्य प्रस्तुति के लिए साधुवाद।
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हरीओम कि माली हालत। अगर वह भी कहीं लाख रूपए कमा रहा होता तो लाख कमाने वाला, जमींदार औऱ उपरी कमाई वाला दामद खोज रहा होता। हो सकता है इस हालत मे भी सरकारी नौकरी वाला दामाद खोज रहा हो।
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