" दरवाज़ा खोलो !!" " ठक ! ठक !! दरवाज़ा खोलो !!! रात के तीन बजे थे। सुजाता ठक -ठक की आवाज़ की और बढ़ी चली जा रही थी। बहुत बड़ी लेकिन सुनसान हवेली थी। चलते -चलते तहखाने के पास जा कर सुजाता के कदम रुक गए। ...
" दरवाज़ा खोलो !!" " ठक ! ठक !! दरवाज़ा खोलो !!! रात के तीन बजे थे। सुजाता ठक -ठक की आवाज़ की और बढ़ी चली जा रही थी। बहुत बड़ी लेकिन सुनसान हवेली थी। चलते -चलते तहखाने के पास जा कर सुजाता के कदम रुक गए। ...