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तेरे बगैर...

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सब कुछ है पर कमी सी है जिने में ऑख है हॅसी पर नमी सी है जिने  में जिंदगी हैं रफ्तार थमी सी हैं जिने में धडकने हैं बन्द बन्द जमी सी हैं जिने में हेमा इंगळे 25/6/16 ...

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लेखक के बारे में
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Hema Ingle

दिल में जो है , वही लिखे, ताकी ये " जिंदगानी सुकून से बहती रहे ... Hello , जिंदगी, जिंदगी क्या हैं रंग भी हैं रंज भी... जियो तो जंग भी है उमंग भी... इसी जिंदगी से मिले कुछ पल, कुछ ख्वाहिशें, कुछ सपने, कुछ कडवाहट इनका अचार बनाके लिखती हुॅ .......संगीत के कारण साहित्य से नाता रहा ....बस उतना ही लिख पाती हुॅ ,ज्यादा नही.... पर भाव मन के उकेरती हुॅ। जिंदगी से कल भी प्यार था , आज भी हैं, कल भी रहेगा...जिंदगी जैसी भी हैं मेरी हमेशा सहेली रही है , मै इसी के साथ मुस्काती हुॅ .......रोना अब बहुत पिछे छोड दिया..... (गायिका,लेखिका,शिक्षीका,चित्रकार,नाट्यकलाकार) (सभी रचनाए काॅपी राईट अधिकार के तहत.. सर्वाधिकार सुरक्षित....) हेमा इंगळे "Musirica नागपूर [email protected]

समीक्षा
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    Bhagyarekha Jagtap
    29 జూన్ 2018
    बहुत बढिया
  • author
    27 జూన్ 2018
    बेहद खूबसूरत 👍
  • author
    26 జూన్ 2018
    बहुत सुंदर रचना
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    Bhagyarekha Jagtap
    29 జూన్ 2018
    बहुत बढिया
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    27 జూన్ 2018
    बेहद खूबसूरत 👍
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    26 జూన్ 2018
    बहुत सुंदर रचना