pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

"तेरा तुझको अर्पण,क्या लागे मेरा"

4.5
9154

"तेरा तुझको अर्पण,क्या लागे मेरा" ____________________________ "तुमसे पूजा के लिए कुछ मंगाया था न... लाए?" "नहीं... भूल गया।" "अरे.. अब पूजा कैसे करुं? ये कोई अपने लिए थोड़ी कर रही थी। तुम्ही आज ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
author
Praveen Tiwari
समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Divyanshi Shukla
    24 जून 2019
    बहुत ही सुंदर है बेटी और पिता का रिश्ता ही कुछ ऐसा है बेटियां अपनी बात मनवाना जानती हैं
  • author
    22 सितम्बर 2019
    अतिसुंदर प्रस्तुति।। कृपया स्नेह स्वरूप मेरी रचना श्रीदुर्गाचरितमानस पढ़ने का कष्ट करे समीक्षा की प्रतीक्षा जय माता दी सहृदय धन्यवाद
  • author
    Jai Sharma
    09 मई 2020
    परवीन हमने आप की लिखी कहानी तेरा तुझको अर्पण पढ़ा कहानी छोटी मगर बहुत ही सुन्दर थी । शुक्रया
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Divyanshi Shukla
    24 जून 2019
    बहुत ही सुंदर है बेटी और पिता का रिश्ता ही कुछ ऐसा है बेटियां अपनी बात मनवाना जानती हैं
  • author
    22 सितम्बर 2019
    अतिसुंदर प्रस्तुति।। कृपया स्नेह स्वरूप मेरी रचना श्रीदुर्गाचरितमानस पढ़ने का कष्ट करे समीक्षा की प्रतीक्षा जय माता दी सहृदय धन्यवाद
  • author
    Jai Sharma
    09 मई 2020
    परवीन हमने आप की लिखी कहानी तेरा तुझको अर्पण पढ़ा कहानी छोटी मगर बहुत ही सुन्दर थी । शुक्रया