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तुम्हारा जीजू

4.1
36729

एक गुप्त प्रेमकथा का अनावरण

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लेखक के बारे में
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Deepak Dixit

निवास : सिकंदराबाद (तेलंगाना) सम्प्रति : स्वतंत्र लेखन संपर्क : [email protected] , 9589030075 प्रकाशित पुस्तकें योग मत करो, योगी बनो (भाल्व पब्लिशिंग, भोपाल),2016 दृष्टिकोण (कथा संग्रह) Pothi.com पर स्वयं-प्रकाशित,2019 * दोनों पुस्तकें Pothi.com पर ईबुक (ebook) के रूप में भी उपलब्ध हैं, लिंक के लिए मेरा ब्लॉग देखें शिक्षा से अभियंता (धन्यवाद-आई.आई.टी.रुड़की), प्रशिक्षण से सैनिक (धन्यवाद- भारतीय सेना), स्वभाव से आध्यात्मिक और पढ़ाकू हूँ। पिछले कुछ वर्षों से लेखन कार्य में व्यस्त हूँ। पढ़ने के शौक ने धीरे-धीरे लिखने की आदत लगा दी। अब तक चार पुस्तक (दो अंग्रेजी में मिलाकर) व एक दर्जन साँझा-संकलन प्रकाशित हुए हैं। हिंदी और अंग्रेजी में ब्लॉग लिखता हूँ। ‘मेरे घर आना जिंदगी’ (http://meregharanajindagi.blogspot.in/) ब्लॉग के माध्यम से लेख, कहानी, कविता और शोध-पत्रों का प्रकाशन। प्रसिद्ध पत्र-पत्रिकाओं तथा वेबसाइट में 100 से अधिक रचनाओं का प्रकाशन हुआ है। साहित्य के अनेक संस्थान में सक्रिय सहभागिता है। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर की कई गोष्ठियों में भाग लिया है तथा कविता/आलेख/शोध-पत्र वाचन किया है। दस से अधिक साहित्यिक मंचों द्वारा पुरस्कृत / सम्मानित किया जा चुका है।

समीक्षा
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  • author
    anurag
    11 July 2019
    हा अब इस शहर में क्या रखा पत्नी कोमा से बाहर आ गई सब ठीक हो गया कही उस तक ये सब बातें पहुँच गई तो बात बिगड जायेगी जिसने बुरे वक़्त में साथ दिया अब उसको ज्ञान सिखाओ
  • author
    Kanak Shukla
    07 September 2019
    स्पर्श सुख और वासना में डूबा इंसान अपनी ही नजरों में कितना गिर जाता है कहानी में आत्म विश्लेषण पूरी ईमानदारी से किया गया है मानवीय संवेदना में आदमी इतना कमजोर हो जाता है इस कहानी को पढ़कर लगा यह किसी सत्य घटना पर आधारित है
  • author
    Mritanjali Verma
    14 July 2019
    Wo letter kabhi mat post karna. Tum maaf karne ke layak nhi pr wo...... Use uski jindagi khushi se jine do.
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    anurag
    11 July 2019
    हा अब इस शहर में क्या रखा पत्नी कोमा से बाहर आ गई सब ठीक हो गया कही उस तक ये सब बातें पहुँच गई तो बात बिगड जायेगी जिसने बुरे वक़्त में साथ दिया अब उसको ज्ञान सिखाओ
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    Kanak Shukla
    07 September 2019
    स्पर्श सुख और वासना में डूबा इंसान अपनी ही नजरों में कितना गिर जाता है कहानी में आत्म विश्लेषण पूरी ईमानदारी से किया गया है मानवीय संवेदना में आदमी इतना कमजोर हो जाता है इस कहानी को पढ़कर लगा यह किसी सत्य घटना पर आधारित है
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    Mritanjali Verma
    14 July 2019
    Wo letter kabhi mat post karna. Tum maaf karne ke layak nhi pr wo...... Use uski jindagi khushi se jine do.