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डर

4.3
15648

शायद पूरी दुनिया की कहानी हो, पर मैं अपने प्यारे देश के लिए ही बोल रही हूँ, हमारे यहाँ ना शायद जानबूझ कर लड़कियों को डरा कर रखा जाता है. बड़े शहरो की हालत शायद कुछ सुधर गयी हो, लेकिन गांव, छोटे शहर अब ...

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लेखक के बारे में
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रुचिका मेहता

दिमाग को भरा रखने के लिए "पढ़ना" और खाली करते रहने के लिए "लिखना", जरुरी लगता है मुझे !!!

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    03 जुलाई 2020
    ये कोई कहानी नही है बल्कि आज की वास्तविकता है, किसी राह चलती लड़की को अपने आस पास के तमाम तरह के नजरों का सामना करना पड़ता है, कभी कभी तो मामला इतना बढ़ जाता है कि बात कमेंट करने तक आ जाती है जो बिल्कुल ही गलत है । लेकिन सबसे जरूरी है कि उसे अपने ऊपर हावी होने देने से पहले एक सख्त टिप्पणी या सख्त संदेशा सामने वाले को दे दिया जाए जिससे वह स्वतः ही शर्मिंदा हो जाए ।
  • author
    शिखा स्वर्णिमा
    10 दिसम्बर 2017
    haa sahi h ..ghurti aankhon se irritating hoti h but ignore kroge to unhe aur mja ayega ..do one thing ..do just like them ..jaise ko taisa ..unki nazare na hati to khna...Maine to kiya h and the result.. hahaaha..but it needs Lot's of guts
  • author
    Rajni Gupta
    10 सितम्बर 2019
    true
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    03 जुलाई 2020
    ये कोई कहानी नही है बल्कि आज की वास्तविकता है, किसी राह चलती लड़की को अपने आस पास के तमाम तरह के नजरों का सामना करना पड़ता है, कभी कभी तो मामला इतना बढ़ जाता है कि बात कमेंट करने तक आ जाती है जो बिल्कुल ही गलत है । लेकिन सबसे जरूरी है कि उसे अपने ऊपर हावी होने देने से पहले एक सख्त टिप्पणी या सख्त संदेशा सामने वाले को दे दिया जाए जिससे वह स्वतः ही शर्मिंदा हो जाए ।
  • author
    शिखा स्वर्णिमा
    10 दिसम्बर 2017
    haa sahi h ..ghurti aankhon se irritating hoti h but ignore kroge to unhe aur mja ayega ..do one thing ..do just like them ..jaise ko taisa ..unki nazare na hati to khna...Maine to kiya h and the result.. hahaaha..but it needs Lot's of guts
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    Rajni Gupta
    10 सितम्बर 2019
    true